मुजफ्फनगर दंगा: जाट और मुसलमानों ने एक-दूसरे के खिलाफ दर्ज मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया

मुजफ्फरनगर में सवा चार साल पहले दंगे के बाद दर्ज मामलों में सुलह-सफाई का जो प्रयास दिल्ली में पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के आवास से शुरू हुआ था, उसे आज काली नदी के निकट स्थित एक वेंक्वेट हॉल में आयोजित बैठक में आगे बढ़ाया गया।

वही बैठक के बाद दोनों ही समूहों और पीड़ितों ने अपने मुकदमों को वापस लेने का फैसला किया है। वर्ष 2013 में दंगे से सबसे ज्यादा प्रभावित गांवों कुतबा, कुतबी, पुरबलियान, काकडा, हदोली के लोगों ने रविवार को मुजफ्फनगर में हुई एक बैठक में यह फैसला लिया।

इस समझौते के तहत पांच गावों के 29 मुकदमें वापस लिए जाएंगे। इस दंगे में 63 लोगों की मौत हो गई थी और 50 हजार लोग विस्थापित हो गए थे। करीब 1400 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। जाट नेता विपिन बालियान ने कहा, ‘दिल्ली में मुलायम सिंह के आवास पर जैसा कि फैसला हुआ था, दंगे से सबसे ज्यादा प्रभावित पांच गांव रविवार को समझौते के लिए सहमत हो गए। अब ग्रामीण अगली सुनवाई पर अदालत के अंदर शपथपत्र दाखिल करेंगे।’

रविवार को बैठक के दौरान समाजवादी पार्टी के सांसद अमीर आलम, एसपी विधायक नवाजिश आलम, पूर्व बीएसपी सांसद कादिर राणा और पूर्व कांग्रेस एमपी हरेंद्र सिंह मलिक भी इस बैठक में मौजूद थे।

कुतबा गांव में हुए दंगे में अपनी मां को खो देने वाले मोहम्मद हसन ने कहा, ‘मैं भी मुलायम सिंह के आवास पर था। विपिन बालियान ने मुझे न्यौता दिया था। कई जाट और मुस्लिम नेता वहां मौजूद थे। मैंने उनके सहमति फॉम्युले पर अपनी सहमति दे दी।’