नोटबंदी और GST ने भारत की आर्थिक वृद्धि को रोका, 7% की वृद्धि दर देश के लिए पर्याप्त नहीं : रघुराम राजन

वॉशिंगटन : आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने दलील दी है कि नोटबंदी और जीएसटी दो ऐसे प्रमुख कारण हैं, जिनकी वजह से भारत की आर्थिक वृद्धि में पिछले साल रुकावट आई है। उन्‍होंने कहा कि मौजूदा 7 प्रतिशत की वृद्धि दर देश की जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्‍त नहीं है। शुक्रवार को बर्कले में कैलिफ़ोर्निया विश्वविद्यालय में बोलते हुए राजन ने कहा कि सात प्रतिशत की वृद्धि दर देश की जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

बार्कले में यूनिवर्सिटी ऑफ कैलीफोर्निया में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजन ने कहा कि 2012 से 2016 तक भारत सबसे तेज दर से वृद्धि करने वाला देश था, यह वह समय था जब देश में नोटबंदी और जीएसटी जैसे कदम नहीं उठाए गए थे। उन्‍होंने कहा कि नोटबंदी और जीएसटी ने भारत में वृद्धि पर गंभीर असर डाला है। दो लगातार झटके भारत में विकास पर गंभीर प्रभाव पड़ा। भारत की वृद्धि दर में गिरावट आई और रोचक बात यह है कि यह ऐसे समय में हुआ जब वैश्विक अर्थव्‍यवस्‍था में वृद्धि हो रही थी।

उन्‍होंने कहा कि भारत में इस समय 7 प्रतिशत वृद्धि दर को बहुत-बहुत मजबूत वृद्धि दर बताया जा रहा है, जबकि हकीकत यह है कि श्रम बाजार में जिस तरह के लोग आ रहे हैं और उनके लिए हमें रोजगार की जरूरत है, इसे देखते हुए 7 प्रतिशत की वृद्धि दर पर्याप्‍त नहीं है। हमें इससे अधिक दर से वृद्धि की आवश्‍यकता है और हम इस स्‍तर से संतुष्‍ट नहीं हो सकते।

उन्‍होंने कहा कि वैश्विक वृद्धि के लिए भारत बहुत संवेदनशील है, भारत अब बहुत खुली अर्थव्‍यवस्‍था वाला देश बन चुका है और यदि दुनिया वृद्धि करती है तो भारत में अधिक तेजी से वृद्धि करेगा। 2017 में क्‍या हुआ, जब दुनिया आगे बढ़ रही थी लेकिन भारत पीछे जा रहा था। इसका कारण था नोटबंदी और जीएसटी, जिसने वास्‍तव में भारत की अर्थव्‍यवस्‍था पर बहुत बुरा असर डाला।

राजन ने अपने संबोधन के दौरान कहा कि राजनीतिक निर्णय लेने में सत्ता का अत्यधिक केंद्रीकरण भारत की मुख्य समस्याओं में से एक है। “भारत केंद्र से काम नहीं कर सकता है। भारत काम करता है जब आपके पास बोझ उठाने वाले बहुत से लोग हैं। और आज केंद्र सरकार अत्यधिक केंद्रीकृत है.

इससे पहले राजन ने कहा था, केंद्रीय बैंक एक कार में सीट बेल्ट की तरह है, जिसके बिना दुर्घटनाएं होती हैं। केंद्रीय बैंक की संस्थागत स्वायत्तता के सम्मान के लिए पिचिंग करते हुए उन्होंने कहा कि आरबीआई की यह कहने की स्वतंत्रता है कि सरकार इसे उदार होने के लिए प्रेरित करेगी। भारतीय रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने कड़ी मेहनत में भाषण में कहा कि केंद्रीय बैंक की आजादी की रक्षा करने में विफलता “वित्तीय बाजारों का क्रोध” होगी।