राहुल गाँधी एक नए रूप में!

राहुल गाँधी कांग्रेस के आसमान के नए सितारे हैं। उनकी मां सोनिया गांधी ने ज़िम्मेदारी सोंप दी है और वह पार्टी के अध्यक्ष हैं। राहुल स्वर्गीय जवाहरलाल नेहरु के नवासे हैं। इस तरह अगर पार्टी कभी सत्ता में आती है, प्रधानमंत्री का पद नेहरु खानदान में ही रहेगा। ज़ाहिर है कि उससे गठबंधन का एहसास पैदा हुआ है जो मतभेद वाले देश के लिए अहमियत रखता है।

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राहुल गाँधी कम उम्र भी नहीं हैं। देखना यह है कि देश को पेश समस्याओं का समाधान वह दे सकते हैं या नहीं। लेकिन उन्हें बहुत बेबाक माना जाता है। उन्होंने जनता में फूट डालने के लिए सीधे तौर पर सत्ताधारी भाजपा पार्टी और आरएसएस को आलोचना का निशाना बनाया है।करप्शन के विषय पर बात करते हुए लड़ने पर अमादा राहुल ने खासतौर पर प्रधानमंत्री को निशाना बनाया। इराक में 39 भारतियों की हत्या पर सरकार से विरोध करने के लिए पार्टियों का गठबंधन ज़रूरी है।

उन लोगों को चार पहले अगवा किया गया था, काश कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने भारतियों को रिहा करने के लिए पश्चिम के माध्यम से दबाव डाला होता। पश्चिम के रवैया समझ से बाहर है। उनमें से किसी ने भी भारतीयों की हत्या पर गम का इज़हार नहीं किया। उन्होंने तीसरी दुनियां के प्रति गोरों के जज्बे को ज़रूर साफ़ किया, जिसमें काले और सांवले लोग रहते हैं। इसी तरह कांग्रेस ने इस नरसंहार के लिए भाजपा पर निशाना साधा है।

राहुल ने दावा किया कि “भारत के हर नौजवान से मैं कहता हूँ कि हम आपका सहारा हैं। कांग्रेस पार्टी आपकी है। देखना यह है कि राहुल गांधी कहां तक कांग्रेस के अंदर मौजूद खराबियों को दूर कर पाएंगे। देश के जनता उनके कदमों और कार्य का इंतज़ार कर रहे हैं। सबसे अहम समस्या रोज़गार का है। क्या वह हर साल दो लाख उम्मेदवार पैदा कर सकते और आर्थिक पिछड़ेपन से देश को बचाने के लिए जीडीपी में 11 फीसद तक की वृद्धि कर सकते हैं।