बेगुनाह रफ़ीक के साथ दिल्ली पुलिस पेशाब पिलाने, सुवर से चटवाने और पैंट में चूहे डालने का काम करती थी

अक्टूबर 2005 में दिल्ली में हुए सीरियल धमाकों के बाद दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कश्मीरी छात्र रफ़ीक शाह को बिना कोई पुख़्ता सबूत के उठा लिया था।

हालाँकि बेगुनाह होने के बावजूद 11 साल जेल में रहने के बाद दिल्ली की एक अदालत ने उन्हें बाइज़्ज़त बरी कर दिया गया।
लेकिन रफ़ीक के इन 11 सालों की भरपाई और रफ़ीक के गुनहगार पुलिस वालों पर कार्यवाही का सवाल कोर्ट परिसर और मीडिया में नदारद है। कोई भी मुआवज़ा रफ़ीक का बर्बाद जीवन नहीं लौटा सकता।

वहीं इस बीच जेल के दौरान पुलिस के टार्चर के तरीक़ों की ख़बर सामने आयी है जहाँ इंसानियत और मानवाधिकार का कोई माएने नहीं रह जाता। दिखायी देता है तो बस वहशीपन, नफ़रत और उसके पीछे पूर्वाग्रह को ढोती विकृत मानसिकता।

2008 में रफीक शाह ने कोर्ट को बताया है कि उनके साथ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने पानी की जगह पेशाब और दूसरे आरोपियों के प्राईवेट पार्ट चूसने तथा सुवर से पूरा शरीर चटवाने एवं पैंट में चूहे डालने का काम किया था।

11 साल पहले गिरफ़्तारी के दौरान शाह कश्मीर यूनिवर्सिटी के इस्लामिक स्टडीज विभाग के मास्टर्स के छात्र थे।

शाह ने कोर्ट को बताया कि जेल में जब पुलिस वाले हर कश्मीरी को आतंकवादी बताकर उनपर अत्याचार करते थे।

बता दें कि लोकल पुलिस की जांच डीटीसी बस में बम रखने वाले आदमी के विवरण स्केच पर निर्भर थी। जबकि गवाह ने कोर्ट में कहा की उसने अपराधी को सिर्फ पीछे से देखा था।

वहीं दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने बताया कि धमाके के कुछ दिन बाद जब केस फ़ाइल उनको ट्रांसफर की गयी तो फ़ाइल में कोई पोर्ट्रेट नहीं था।