भाजपा में शामिल हुए कांग्रेसी नेता गोलवलकर के हिन्दुत्व और गौरक्षा की ट्रेनिंग ले रहे हैं: रवीश कुमार

मैं शपथ लेता हूं कि कभी भी इस पवित्र पार्टी को धोखा नहीं दूंगा। पार्टी को धोखा देने का मतलब होगा भगवान को धोखा देना- केजरीवाल

पोलिटिकल फिक्शन का यह सबसे शानदार समय है। लोग नाहक मोदी विरोध में अपना वक्त बर्बाद कर रहे हैं। अरविंद केजरीवाल ने अपने पार्षदों को शपथ दिलाई है, उस पर मेरी आज नज़र पड़ी। शपथ लेने का एक ही पैटर्न है इस देश में। गीता पर हाथ रखकर शपथ खाता हूं। तनाव में लगता है कि केजरीवाल गीता भूल गए( मनोज तिवारी यहां ध्यान दें!)। वैसे जॉली एल एल बी के दोनों पार्ट देखने के बाद यकीन हो गया है कि गीता पर हाथ रखकर शपथ खाने के बाद भी सब आराम से झूठ बोलते हैं। पुलिस, गवाह, वकील और जज। सब झूठ बोलते हैं। छात्र जीवन में हम गीता की कसम कम खाते थे, विद्या की कसम ज़्यादा खाते थे और सीरीयस भी रहते थे। विद्या चली गई तो समझिये कि सारा प्लान फेल। इसलिए विद्या कसम अल्टीमेट होता था।

हम सब इन बातों को काफी गंभीरता से लेते हैं। काफी टाइम बर्बाद हो गया। इन सबको फिक्शन के रूप में देखना चाहिए। मैंने कुछ सीन लिखे हैं । आप भी लिख सकते हैं। राजनीति में बहुत कटुता हो गई है। थोड़ी मित्रता भी चाहिए।

प्लाट नंबर एक- बीजेपी भारतीय राजनीति का बरमूडा त्रिकोण हो गई है। जिसके आस पास से गुज़रते ही दूसरे दल का नेता या जहाज़ उसमें ग़ायब हो जाता है। मुझे तो बीजेपी देखते ही उस पहाड़ी की याद आने लगती है, जिसकी गुफा में साधु ध्यान मग्न रहता है। शाम के बाद उससे जो भी मिलने जाता है, कभी अपने घर लौट कर नहीं आ पाता है। अरविंदर सिंह लवली एक दिन पहले तक कांग्रेस का प्रचार कर रहे थे, अगले दिन अमित शाह के सामने खड़े थे। टीवी पर देखा तो लगा कि बेचारे से खड़े हैं। सकुचाये से हैं। नई पार्टी में शामिल होने पर मिठाई मुख तक पहुंचने का इंतज़ार कर रहे हैं। लवली की हालत देखकर लगा कि जैसे पहाड़ी पर रहने वाले साधु ने उन्हें तोता बना दिया है और एक हट्ठा कट्ठा सा मस्त मौला आदमी पिंजड़े में तोते की तरह ऊपर नीचे चढ़ उतर रहा है। उस पिंजड़े में अरुणाचल, गोवा, मणिपुर के कांग्रेसी नेता भी तोता बनकर फड़फड़ा रहे हैं।

प्लाट नंबर दो- एक दिन देखता हूं कि संघ प्रमुख भागवत जी परेशान हैं। कहते हैं कि जो दूसरे दल से आए हैं उन्हें फ्री में मलाई नहीं मिलेगी। सारे के सारे नेता शाखा में भेजे जायेंगे। देखता हूँ कि कोई कांग्रेसी गोलवलकर का हिन्दुत्व रट रहा है तो कहीं गौशाला में जाकर गौ रक्षा की टेकनिक सीख रहा है। योगा टीचर के रूप में बाबा रामदेव तो हैं हीं।

प्लाट नंबर तीन- कोई कांग्रेसी भाजपा दफ्तर में भटकता रहा है। सोच रहा है। पुराने नारे लगाने का मन कर रहा है। बाथरूम में जाता है और ज़ोर से दो बार जय हिंद बोलता है, फिर ड्राईंग रूम में आता है और तीन बाल भारत माता की जय बोलता है। दिल्ली में कांग्रेस का मुख्यालय अकबर रोड पर है। भाजपा का मुख्यालय अशोक रोड पर है। पुराना कांग्रेसी आटो से नए दफ्तर जाते हुए धड़फड़ा कर अकबर रोड पर उतर जाता है। तभी देखता है कि कि अरे यहां तो सोनिया गांधी की तस्वीर दिख रही है। अमित शाह की तस्वीर कहां गई। फिर कोई याद दिलाता है कि हुज़ूर अब तो आप भाजपा में चले गए हैं न।

प्लाट नंबर चार- केजरीवाल डरे हुए हैं। कुमार विश्वास ने कह दिया है कि शपथ दिलाने के बाद भी पार्षद को बीजेपी में जाएंगे। केजरीवाल पार्षद छोड़ विधायकों को शपथ दिलाने लगते हैं। क्या पता सरकार न चली जाए। केजरीवाल राहुल गांधी से फोन कर पूछते हैं, राहुल जी,आपकी पार्टी से रोज़ कोई न कोई बीजेपी में जाता है,कैसा लगता है। राहुल जी कहते हैं, पता चलने के पहले जा चुके होते हैं। इसलिए बुरा नहीं लगता। पता हो और तब रोक न पाऊँ वो बुरा लगता है। इसलिए हमने शपथ का दूसरा मॉडल ट्राई किया है। बंगाल और पंजाब में हलफनामा साइन कराया गया है कि बीजेपी में नहीं जाएंगे।

प्लाट नंबर पाँच- जिस रफ्तार से कांग्रेसी बीजेपी में जा रहे हैं, एक दिन आता है जब अमित शाह सोनिया गांधी को पत्र लिख रहे हैं कि मैडम अकबर रोड का मुख्यालय हमें दे दें। आपकी पार्टी के जो लोग हमारे यहां आएं हैं उनके बैठने की जगह अशोक रोड स्थित हमारे मुख्यालय में नहीं है। सोनिया गांधी भी मान गई हैं, कहती हैं, अमित जी, जब ये नेता आपके पास ही चले गए हैं तो हम मुख्यालय रखकर क्या करेंगे।

प्लाट नंबर छह- कोई इंकम टैक्स से फाइल लेकर आता होगा कि विधायक जी, आपके घोटाले की फाइल रेडी है, बीजेपी में चलेंगे या जेल चलेंगे। विधायक उठता है और राहुल गांधी को नाकारा कहते हुए मोदी जी का जयकारा लगाने लगता है। कोई पत्रकार कान में आकर कहानी कह रहा है कि कि फलां नेता को बीजेपी ने दस करोड़ दे दिये हैं। वो राहुल को गरियाता हुआ अमित शाह के चरणों में लोटने वाला है। कहीं सेक्स सीडी निकलने की बात हो रही है तो कहीं पुराने मामले में बचाने की बात चल रही है। सब तैयार हैं कि कोर्ट और जेल से बचना है तो चलो भाजपा में चला जाए। मुझे तो लगता है कि एक दिन अदालत में भी कोई केस नहीं रहेगा। जजों के पास काम नगीं है क्योंकि गडकरी जी बोल चुके हैं कि बीजेपी में आकर अपराधी भी अच्छा हो जाता है।

प्लाट नंबर सात- बीजेपी सोच रही है, उसकी विचारधारा के इतने लोग कांग्रेस में थे, अगर पहले पता होता तो बीजेपी को ही कांग्रेस में विलय करा देते। कम से कम 50 साल शासन कर लेते।

प्लाट नंबर आठ- दिग्विजय सिंह बीजेपी में चले गए हैं! वहां देखते हैं कि कमलनाथ अशोक रोड पर सावरकर की किताब ख़रीद रहे हैं। दिग्विजय कमलनाथ को कहते हैं कि ये मत पढ़ो। आपातकाल और संघ का संघर्ष ये किताब पढ़ो। कमलनाथ को बुरा लग जाता है। तभी अमित शाह दोनों को देख लेते हैं और पूछ बैठते हैं कि आप दोनों यहां क्या कर रहे हैं। कमलनाथ तड़ से बोल उठते हैं, सर मैं तो किताब लेने आया था मगर दिग्विजय जी डिस्टर्ब कर रहे हैं।

प्लाट नंबर नौ- अमित शाह दोनों को लेक्चर देते हैं कि पार्टी में एकता ज़रूरी है। इसके बाद दोनों कान पकड़ कर कहते हैं कि यस सर। कांग्रेस में एकता ज़रूरी नहीं थी, तभी तो बीजेपी में आ गए हैं। दोनों अशोक रोड की कैंटीन में जाते हैं। वहां देखते हैं कि कपिल सिब्बल और अभिषेक सिंघवी दोनों राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ की ओटीसी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं।

प्लाट नंबर दस- कांग्रेस से बीजेपी में जाने के बाद नेता क्या क्या करता है, इसका सीन फ़िल्माया जा रहा है। कांग्रेस में चालीस साल रहने के बाद बीजेपी में जाने वाला सोच रहा है, नेहरू से लेकर राहुल गांधी तक की पुरानी और ऐतिहासिक तस्वीरों का क्या करूं। किसी पुराने कांग्रेसी को देकर चला जाऊँ या फेंक दूं या फिर छिपा कर रख देता हूँ ताकि कभी बीजेपी से लौटकर कांग्रेस में आया तो फिर लगा लेंगे। बीजेपी में जाने के बाद किसी पुराने कांग्रेसी का उधार चुकाता होगा या नहीं। राहुल की रैली का बिल नहीं चुकाता है।

प्लाट नंबर ग्यारह- बीजेपी में गए कांग्रेस नेता जब आपस में मिलते होंगे तो पुरानी पार्टी की बात करते होंगे या नई पार्टी की। इसी बीच आम आदमी पार्टी से आया हुआ नेता टकरा जाता है तो सब सकपका जाते हैं। तृणमूल कांग्रेस और शिवसेना के नेता भी बीजेपी में टहल रहे हैं। शिवसेना का नेता सामना में लिखता था इसलिए कमल संदेश का सहायक संपादक हो गया है!

प्लाट नंबर बारह- अमित शाह परेशान हैं । अपनी पार्टी में कितनी पार्टी वालों का ख़्याल रखूं। सब उन्हीं के पास तो जाते हैं कि सर आपने बुलाया था, आ गए हैं लेकिन संघ वाले भाव नहीं देते हैं। रात को सोते हैं तो सपने में इंदिरा जी आईं थीं, मगर उठते ही मोदी जी का फोन आ गया। बहुत टेंशन है सर। साइकोलोजिकल डिसार्डर हो रहा है सर। अमित शाह कहते हैं कि देखो, तुम लोग चुनाव में लग जाओ। मैं भी चुनाव में लगा रहता हूं। इतना मत सोचो। बीजेपी में सोचने का काम तुम्हारा नहीं है। काम में लग जाओ। कांग्रेस में एयरकंडीशन की राजनीति होती थी, बीजेपी में पोलिटिकल एयर कंडीनशन की राजनीति होती है। हम लगातार हवा की कंडिशनिंग करते रहते हैं। रही बात तुम्हारी पुरानी पार्टी की चाय की तो भाजपा का नया दफ्तर बनेगा हम उसमें कांग्रेसी कैंटीन, तृणमूल कैंटीन और शिव सेना कैंटीन खोल देंगे। आम आदमी कैंटीन नहीं खोलूंगा। बस। अमित शाह के जाते ही सब सहम जाते होंगे। उन्हें याद आता होगा कि यही राहुल जी होते तो हम प्रेस में खूब बयान देते। मगर अमित शाह के डर से पता नहीं बोला ही नहीं जा रहा है। चल विक्स की गोली खाते हैं। खीच खीच दूर करते हैं।

प्लाट नंबर तेरह- भाजपा में अब दो तरह के काडर हैं। एक मूल संघ से आए हुए और एक दूसरे दलों से आए हुए। 2014 से पहले से रह रहे लोगों का अलग काडर होगा। 2014 के बाद आए लोगों का अलग काडर होगा। जब देश में विपक्ष नहीं होगा तो एक बात की गारंटी है। भाजपा एकतरफा राजनीति से बोर हो जाएगी। अमित शाह को मन नहीं लगेगा। तब मुझे लगता है कि वे भाजपा के भीतर आईपीएल की तरह आयोजन करेंगे। भाजपा कांग्रेसी, भाजपा आप, भाजपा समाजवादी, भाजपा तृणमूल, भाजपा सीपीएम नाम से टीम बनाकर मैच करायेंगे। मैंने पोलिटिकल फिक्शन की बात की है। ये फिक्शन ही है। क्या पता इन्हीं में से एक टीम के कप्तान राहुल गांधी हों, सीताराम येचुरी हों, ममता बनर्जी हों।

प्लाट नंबर चौदह- कमेंटेटर बाक्स में मैं बैठा हुआ हूं। कमेंटरी कर रहा हूं। मेरे दांत झड़ गए हैं। बाल उड़ गए हैं। पेट पहले से ज़्यादा निकल गए हैं। भारतीय राजनीति का लोड मत लीजिए, बल्कि अपना लोड इस राजनीति पर डाल दीजिए। लास्ट सीन भी बता ही देता हूं।

प्लाट नंबर पंद्रह- मैं देखता हूं कि अमित शाह कांग्रेस दफ्तर में भटक रहे हैं। एक दरबान मिलता है। कहता है हुज़ूर कई साल बाद यहां कोई आया है। मैंने तो यहां से जाते हुए ही देखा है। आप कौन हैं! अमित शाह कहते हैं कि मैं तुम्हें ही ले जाने आया हूं। मैं अमित शाह हूं।