‘एक देश एक दाम’ का नारा तेल के मामले में तेल लेने चला गया: रवीश कुमार

मुंबई में 78 रुपये प्रति लीटर, भोपाल में 75 रुपये प्रति लीटर और दिल्ली में 69 रुपये प्रति लीटर पेट्रोल मिलने के बाद भी कितनी शांति है। एक समय में 65 रुपये प्रति लीटर पर विपक्ष और लोग सड़क पर उतर आते थे। तर्क दिए जाते थे कि पेट्रोल का दाम बढ़ता है तो बाकी चीज़ों के दाम बढ़ जाते हैं। अब क्या पेट्रोल के दाम बढ़ने पर चीज़ें सस्ती हो जाती हैं?

फिर इंडियन एक्सप्रेस की इस ख़बर को हम किस नज़र से देखें। दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन ने बताया है कि मई से जून की तुलना में यात्रियों की संख्या में 8 लाख 20 हज़ार की कमी आ गई। मई में 32 किमी की दूरी के लिए किराया 27 रुपये से बढ़ाकर मात्र 40 रुपये कर दिया गया। आठ लाख लोग 13 रुपये की वृद्धि नहीं झेल पाए? फिर वो तेरह रुपये बचाने के लिए कैसे सफ़र कर रहे हैं?

28 अगस्त के फाइनेंशियल एक्सप्रेस ने पेट्रोल की कीमतों का संक्षिप्त विश्लेषण छापा है। पिछले नौ साल में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में प्रति बैरल कच्चे तेल की कीमतों में 63 फीसदी की कमी आई है। इस दौरान मुंबई में खुदरा पेट्रोल की कीमत में 43 फीसदी की वृद्धि हुई है।

जून 2008 में अंतर्राष्ट्रीय बाज़ार में कच्चे तेल की कीमत थी 132.42 डॉलर प्रति बैरल। जून 2017 में 46.56 डॉलर प्रति बैरल है।

16 जून से पेट्रोल और डीज़ल की कीमत अब रोज़ तय होती हैं। इस नई व्यवस्था के तहत शुरू के दो हफ्ते तक दाम कम हुए तो लोगों को लगा कि बेहतर सिस्टम है। 28 जून तक दाम में 3.45 रुपये प्रति लीटर की गिरावट आई थी।

28 जून से जब पेट्रोल के दाम बढ़ने लगे तो यह सिलसिला थम नहीं रहा है। दिल्ली में इस समय पेट्रोल 69.09 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। दो महीने में पेट्रोल के दाम 5.63 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बढ़ चुके हैं।

मुंबई में जून 2008 में पेट्रोल 55.04 रुपये प्रति लीटर मिल रहा था, जून 2017 में 78.44 रुपये प्रति लीटर मिल रहा है। नोएडा में 71.55 रुपये प्रति लीटर और ग़ाज़ियाबाद में 71.44 रुपये प्रति लीटर तेल मिल रहा है। एक देश एक दाम का भी नारा तेल के मामले में चल जाता तो…..मने कह रहे हैं। गुस्सा मत कीजिए, जनता खुशी खुशी दे रही है। अभी और दाम बढ़ाते चलिए।