नई दिल्ली :सूचना का अधिकार ऐक्ट के तहत मिली जानकारी से इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) की सुरक्षा को लेकर फिर से सवाल खड़े हो गए हैं। EVM की टेम्पर-प्रूफ टेक्नॉलजी को लेकर कुछ राजनीतिक दल शंका जता चुके हैं। हालांकि, चुनाव आयोग ने इन सभी आशंकाओं को खारिज करते हुए कहा है कि वह EVM की निगरानी के लिए कड़े प्रोटोकॉल का पालन करता है और इन मशीनों को लूटे जाने की स्थिति में इन्हें कबाड़ में डाल दिया जाता है और इनका दोबारा इस्तेमाल नहीं होता।
RTI के तहत चुनाव आयोग से मिली जानकारी से पता चला है कि तीन राज्यों- छत्तीसगढ़, गुजरात और मध्य प्रदेश में पिछले चुनावों में EVM चोरी के कम से कम 70 मामले हुए हैं। गुजरात में 2007 के एक मामले में एक प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान प्रशिक्षक अपने एक साथी को EVM सौंपने के बाद लंच के लिए चला गया था। बाद में उसके लौटने पर मशीन गायब थी। इस मामले की जांच की जा रही है और इसमें लाई डिटेक्टर टेस्ट भी किया गया है।
अभी तक EVM में गड़बड़ी के दावों पर चुनाव आयोग कहता रहा है कि इसके लिए गड़बड़ी करने के लिए मशीन तक पहुंचना जरूरी है। चुनाव आयोग के उप आयुक्त सुदीप जैन ने बताया, ‘गुजरात को छोड़कर ये मामले चुनाव के दौरान मतदान केंद्रों से लूट के हैं, चोरी के नहीं। नक्सलियों और असामाजिक तत्वों की ओर से चुनाव प्रक्रिया में रुकावट पैदा करने के लिए EVM को लूटा गया था। ऐसे सभी मामलों में कानून की निर्धारित प्रक्रिया का पालन किया जाता है। हालांकि, इन मामलों से चुनाव के दौरान और अन्य समय पर EVM/VVPAT को सुरक्षित रखने और उनके उपयोग को लेकर किए जाने वाले कड़े प्रशासनिक और सुरक्षा उपायों पर कोई संदेह पैदा नहीं होता।’
चुनाव आयोग का कहना है कि EVM की सुरक्षा के लिए मजबूत व्यवस्था है। जैन ने बताया कि अगर एक EVM चोरी होती है तो वह सिस्टम में कभी वापस नहीं आती और इस वजह से इसमें गड़बड़ी करने और दोबारा इस्तेमाल का प्रश्न ही नहीं है। विभिन्न राज्यों में EVM की गड़बड़ी की कई शिकायतें दर्ज करा चुके ऐक्टिविस्ट तहसीन पूनावाला ने कहा, ‘चुनाव आयोग अपना रुख लगातार बदलता रहा है जिससे सिविल सोसायटी और राजनीतिक दलों का शक बढ़ा है। पहले चुनाव आयोग ने कहा था कि EVM को हैक नहीं किया जा सकता और आयोग ने इसे साबित करने के लिए हैकॉथन आयोजित करने का वादा किया था, जिसे उन्होंने बदलकर EVM का एक सरकारी प्रदर्शन कर दिया। जब हमने EVM को हैक करने की चुनौती स्वीकार की तो चुनाव आयोग ने एक बार फिर अपना रुख बदलते हुए कहा कि EVM तक पहुंचा नहीं जा सकता। अब RTI से साबित हुआ है कि EVM लगातार चोरी होती रही हैं। इसका यह भी मतलब है कि रिवर्स इंजिनियरिंग से सोर्स कोड हासिल कर नतीजों को बदला जा सकता है।’