साहित्य अकादमी विजेता ने पुरस्कार राशि को ट्रेन में पीट-पीट कर मार डाले गए जुनैद की मां को दिया

नयी दिल्ली : देश की 23 भाषाओं के लेखक-लेखिकाओं को सोमवार को साहित्य अकादमी पुरस्कार-2017 प्रदान किए गए. हरियाणा के किशोर जुनैद खान की पीट पीटकर की गई हत्या के विरोध में आवाज उठाने के लिए मलयालम लेखक के.पी.रामानुन्नी ने अपने पुरस्कार की एक लाख रुपये की राशि में से महज तीन रुपये अपने पास रखकर बाकी जुनैद की मां को दे दिए. जुनैद बीते जून महीने में ईद पर खरीदारी कर घर लौट रहा था, जब उसे ट्रेन में पीट-पीटकर मार डाला गया था. रामानुन्नी ने कहा कि उन्हें जिस किताब (दाएवाथिंते पुस्तकम) के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया है, वह सांप्रदायिक सद्भाव पर आधारित है. उन्होंने कहा कि जुनैद को बिना किसी वजह के मार डाला गया था.

तमिल कवि इंकलाब के परिजन भी पुरस्कार समारोह में शामिल नहीं हुए. इंकलाब को यह पुरस्कार मरणोपरांत दिया गया. असमिया में जयंत माधब बोरा को उनकी किताब ‘मोरिआहोला’ के लिए पुरस्कृत किया गया. बांग्ला में अफसार अहमद को उनकी किताब ‘सेई निखोंज मानुषता’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया. बोडो में रीता बोरा को ‘थवीसम’ के लिए इनाम मिला.

डोगरी में शिव मेहता को ‘बन्ना’, अंग्रेजी में ममंग दाई को ‘द ब्लैक हिल’ और गुजराती में उर्मी घनश्याम देसाई को उनकी पुस्तक ‘गुजराती व्याकरण ना बासो वर्षा’ के लिए पुरस्कार दिया गया. हिंदी में रमेश कुंतल मेघ को उनकी कृति ‘विश्व मिथक, सरिता सागर’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया. कन्नड़ में टी.पी. अशोक को ‘कथाना भारती’, कश्मीरी में अवतार कृष्ण रबर को ‘येली पर्दा वोथ’ और कोंकणी में गजानन रघुनाथ जोग को ‘खंड अनी हेर कथा’ के लिए इनाम दिया गया.

मैथिली में उदय नारायण सिंह ‘नचिकेता’ को उनकी किताब ‘जहालक डायरी’, मणिपुरी में राजेन तोइजांबा को ‘चाही तारेत खुंताकापा’, मराठी में श्रीकांत देशमुख को ‘बोलावे ते अमही’ और नेपाली में बीना हंगखिम को ‘कीर्ति विमर्श’ के लिए इनाम मिला. उड़िया में गायत्री सराफ को ‘एतावातिरा शिल्पी’, पंजाबी मे नछत्र को ‘स्लोडाउन’, राजस्थानी में नीरज दइया को ‘बीना हसलपाई’, संस्कृत में निरंजन मिश्रा को ‘गंगापुत्रावादानम’, संथाली में भुजंग तुदु को ‘ताहेनान तांगी रे’, और सिंधी में जगदीश लछानी को ‘आछेंदे लाजा मारान’ के लिए पुरस्कृत किया गया. तेलुगू में टी. देवीप्रिया को ‘गालीरंगू’ और उर्दू में मोहम्मद बेग अहसास को ‘दखमा’ के लिए पुरस्कृत किया गया. साहित्य अकादमी के अध्यक्ष चंद्रशेखर कंबर ने विजेताओं को प्रशस्ति पत्र, शाल और एक-एक लाख रुपये का चेक प्रदान किया.