लखनऊ मुठभेड़ में मारे गए कथित संदिग्ध सैफुल्लाह की एक कहानी ये भी हो सकती है!

इस समय में घटनास्थल पर हूँ। कल रात से अजीबोगरीब तबाही सुनने को मिल रही थी कि आतंकी घुस आया है। सैकड़ों राइफलें लिए फिरता है। कई लोग हैं। कल से ही इन तथाकथित अफवाहों की तह तक पहुंचने के लिए हाथ-पैर मार रहा था।

मैंने अपने जीवन में एजेंसियों की ऐसी अनगिनत मंगढ़त कार्यवाहियों पर काम किया है जिसमें सब से घटिया और फर्जी मामला यही लगता है। मैं अपने लेखन और पत्रकारिता का हक़ अदा करता हूँ। उम्मीद करता हूँ कि अन्य योग्य कलमकार भी आगे आएंगे। वर्ना कलमकारी किसी काम की नहीं। उसे तोड़ कर फेंक देना चाहिए।

सबसे पहले तो आइए एटीएस, पुलिस और मीडिया की ओर। इनके मुताबिक़ लखनऊ के हाजी कॉलोनी में एक आतंकवादी घुस गया है। जो इराक के बगदाद से आया, उसके पास राइफलें हैं, उसके पास 140 से अधिक हथियार हैं और वे अंदर से फायरिंग कर रहा है। उसका नाम सैफुल्लाह है। उसके तार मध्यप्रदेश ट्रेन धमाके से जुड़े हुए हैं और कानपुर रहमानी बाजार से गिरफ्तार किए गए आतिफ मुजफ्फर ने सैफुल्लाह का नाम लिया है।

घटनास्थल पर मौजूद इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के मुताबिक़ पीएम मोदी जोकि आतंकवाद का विनाश करने आए हैं, उन्होंने यह पहला कदम उठाया है, आतंकवाद के खिलाफ। अब आइए इन बातों की सच्चाई मापते हैं।

प्रत्यक्षदर्शियों और क्षेत्रीय लोगों के अनुसार सैफुल कोई आतंकवादी लड़का नहीं बल्कि एक शरीफ और होनहार छात्र था जो वहां किराए पर कमरा लेकर पढ़ाई करता था।

क्षेत्र के लोगों का कहना है कि यह मामला एक घटना से जुड़ा है। पाठकों को सबसे पहले यह समझना होगा, तब हम इस मामले की तह तक पहुंच सकेंगे।

घटना यूं है कि सैफुल जिनका नाम यहाँ सैफुल्लाह से प्रसिद्ध है, वह जिस मकान में रहते थे वह मकान बादशाह खान मलीहाबादी का है। इसी मकान के पड़ोस में स्थित एक व्यक्ति ने सैफुल्लाह को मकान किराए पर दिया था। सैफुल्लाह और उसके कुछ साथी इस मकान में किराए पर रहते थे और लखनऊ के एक कॉलेज में पढ़ाई करते थे।

जिस पड़ोसी ने सैफुल्लाह को किराए पर मकान दिलाया था। उसका अपने बेटे से विवाद था, बेटा बड़ी कार की मांग कर रहा था। कल भी वह सुबह करीब नौ बजे अपने पिता से यही मांग कर रहा था। इस दौरान झगडा इतना बढ़ गया कि बेटे ने बाप और दादी पर हाथ उठा के भागने लगा।

लेकिन बाप पीछे से चोर चोर कहते दौड़ा ताकि लोग इसे पकड़ लें। आखिर में ऐसा ही हुआ और वहां मौजूद कुछ झोपड़ पट्टी वालों ने चोर समझ कर उसे धर दबोचा। बाद इसके पिता और चाचा बेटे को घर तक मारते घसीटते ले आए।

घर में पहुंचकर बेटे ने बाप पर दबाव बनाने के लिए कॉलेज के कुछ दोस्तों को फोन कर लिया लेकिन पिता को लगा कि बेटे ने गुंडों को बुलाया है। इसलिए उसने पुलिस को फोन करके कहा कि मेरे घर में आतंकी घुस आए हैं। हालाँकि जैसे ही पुलिस पहुंचने के करीब हुई बेटे और उसके साथियों को खबर हुई और सब वहाँ से भाग गए।

खैर, पुलिस घर पहुंची तो  पिता से आतंकी के बारे में पूछा? पिता ने कुछ तो बौखलाहट में और कुछ बदला लेने के लिए सैफुल्लाह के कमरे की ओर इशारा कर दिया। क्योंकि आतंकी तो थे ही नहीं।

अब यहाँ हमारे पाठकों के मन में सवाल उठ रहा होगा कि पड़ोसी का सैफुल्लाह से बदला कैसा?

कहा जाता है कि सैफुल्लाह और पड़ोसी की बेटी के बीच कुछ संबंध थे या फिर पिता को संबंध होने का शक था।

खैर जो भी हो उसने न आओ देखा न ताओ बेचारे सैफुल्लाह के कमरे की ओर इशारा कर दिया।

यहाँ दो संभावना है मालूम पड़ती हैं। पहली ये कि यह व्यक्ति भी सुनियोजित साजिश में भागीदार है और इस खेल में हिस्सेदार। वहीँ दूसरी वजह ये कि इस गंभीर गलती के अंजाम का उसे एहसास ही नहीं था। इसलिए कल से ही यह व्यक्ति गायब है।

बहरहाल पुलिस ने वहां पहुंचते ही पड़ोसी के इशारे पर सैफुल्लाह का किवाड़ खटखटाया। लेकिन जब उसने खिड़की खोलकर पुलिस के कई वाहनों को देखा तो घबराकर छुप गया और आखिर में जिसे आतंकी समझ कर यह सारा ड्रामा अंजाम दिया गया।

(नोट: इस स्टोरी को उर्दू पत्रकार समी खान ने वहां के लोगों से बातचीत के आधार पर तैयार किया है। सियासत हिंदी इस तथ्य की पुष्टि नहीं करता)