‘पहलू खान की हत्या पर मीडिया कवरेज बताती है कि इस पेशे को पत्रकार नहीं गुंडे और सौदेबाज़ चला रहे हैं’

पहलू खान की हत्या पर मीडिया कवरेज बताती है कि इस पेशे को पत्रकार नहीं गुंडे, मवाली, चोर-उचक्के, दलाल और सौदेबाज़ चला रहे हैं। मेवात का एक ग़रीब ग्वाला जिसे गुंडों ने पीट-पीटकर मार डाला, लेकिन कई मीडिया संस्थान हत्यारों का बचाव करती ख़बरें लिख रहे हैं।

गाय की ख़रीद और उसे जयपुर से मेवात से जाने के काग़ज़ात इंडियन एक्सप्रेस के रिपोर्टर हमज़ा ख़ान छाप चुके हैं। कुछ दूसरे मीडिया हाउसेज़ भी इन कागज़ातों को अपनी रिपोर्ट के साथ नत्थी कर रहे हैं।

बावजूद इसके कई मीडिया संस्थान पहलू खान को गौ-तस्कर लिख रहे हैं। ख़बरें इस तरह की लिखी जा रही हैं कि अपराध पहलू ने भी किया है। उसकी हत्या को जायज़ ठहराने की कोशिश की जा रही है।

दैनिक भास्कर ने कल के अख़बार में तमाम ऐसे कागज़ात को छापने की बजाय रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजा के फर्ज़ी बयान को प्रमुखता से छापना ज़रूरी समझा। आहूजा ने कहा था कि पहलू की मौत हर्ट अटैक से हुई है।

मगर आज फिर एक्सप्रेस रिपोर्टर हमज़ा ख़ान ने पीएम करने वाले डॉक्टर के हवाले से लिखा है कि पहलू की मौत की वजह पिटाई है। बुरी तरह मारे जाने के कारण उन्हें दिल का दौरा पड़ा।

आहूजा भाजपा के वही विधायक हैं जिन्होंने रामगढ़ में बैठकर बता दिया था कि जेएनयू कैंपस में हर दिन कितनी शराब और कंडोम की खपत होती है। इतने संवेदनशील मामले में ऐसे बेवकूफ विधायक के बेवकूफी भरे बयान को दैनिक भास्कर ने कल बिना कोई सवाल उठाए जस का तस छाप दिया।

जयपुर के कमोबेश सभी हिंदी अख़बारों में इस मामले में पड़ताल करती ख़बरें गायब हैं। रिपोर्टर तफ़्तीश नहीं कर रहे हैं बल्कि डेस्क पर बैठे सब एडिटर नेताओं के फर्ज़ी बयान से अख़बार के पन्ने भर रहे हैं। पुलिस से सवाल करती ऐसी ख़बरें गायब हैं कि मुलज़िमों को पकड़ने के लिए क्या किया जा रहा है। उलटा एक किसान को गौ-तस्कर लिखा जा रहा है और हत्यारों को कथित गौ-रक्षक कहा जा रहा है जैसे कि गौ-रक्षक तो हत्या कर ही नहीं सकते।

गृहमंत्री कटारिया, आहूजा और संसद में नक़वी जैसे नेताओं के फर्ज़ी बयानों पर भी किसी जयपुर के किसी अख़बार में सवाल नहीं उठाया गया है।

(नोट- यह पोस्ट कैच न्यूज़ के पत्रकार शाहनवाज़ मलिक ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखी है। सियासत हिंदी ने इसे अपनी सोशल वाणी में जगह दी है)