जनादेश के ख़िलाफ़ जाकर नीतीश कुमार ने बिहार की जनता को धोका दिया है: शरद यादव

बिहार में नीतीश कुमार के महागठबंधन को तोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद पहली बार जेडीयू के वरिष्ठ नेता शरद यादव ने चुप्पी तोड़ी है । नीतीश के इस फ़ैसले से शरद यादव नाराज़ हैं ।

शरद यादव ने सोमवार को इस मुद्दे पर पहली बार बयान दिया। उन्होंने कहा कि बिहार में जो कुछ हुआ, वह उससे सहमत नहीं हैं और उन्हें महागठबंधन के टूटने का अफसोस है।

सोमवार को संसद के बाहर पत्रकारों से बातचीत में शरद यादव ने कहा, ‘जो परिस्थिति है, वह अप्रिय है। देश की, बिहार की 11 करोड़ जनता के लिए यह ठीक नहीं है। बिहार में जो फैसला हुआ मैं उससे सहमत नहीं हूं, यह दुर्भाग्यपूर्ण है। लोगों ने जनादेश इसलिए नहीं दिया था।’

यादव के बयान से साफ़ है कि वो नीतीश के इस फ़ैसले से नाराज़ हैं हालांकि उन्हें मनाने की एनडीए के नेताओं ने कोशिश भी की हैं लेकिन वो नाकाम साबित हुईं ।

 

 

शरद यादव के इस बयान पर जेडीयू के नेता बयान देने से बच रहे हैं । पार्टी प्रवक्ता केसी त्यागी ने सिर्फ इतना कहा है कि शरद उनकी पार्टी के बड़े नेता हैं और पूरे सम्मान के साथ उनकी बात सुनी जाएगी। हालांकि कुछ जेडीयू नेता ये जताना नहीं भूल रहे हैं कि शरद बीजेपी के समर्थन से ही राज्यसभा पहुंचे थे।

शरद ने रविवार को भी ट्वीट कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे को लेकर निशाना साधा था। उन्होंने ट्वीट किया था कि , ‘विदेशों से कालाधन वापस नहीं आया, जो सत्ताधारी पार्टी का एक मुख्य नारा था और ना ही पनामा पेपर्स में नामित लोगों में से किसी को पकड़ा गया।’

वहीं आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव ने भी शरद यादव से फोन पर बात कर उन्हें आरजेडी में आने का न्योता दिया है। लालू ने सोशल मीडिया के जरिए भी शरद यादव ने बीजेपी के खिलाफ विपक्षी दलों की एकता को मजबूत करने की अपील की थी। शरद यादव पिछले कुछ दिनों में कांग्रेस सहित विपक्ष के कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं।