शिया समुदाय ने वसीम रिज़वी के हलफनामे का किया विरोध, कहा- यह हमें BJP से जोड़ने की साजिश

बाबरी मस्जिद-राम जन्मभूमि केस में शिया वक़्फ़ बोर्ड चैयरमैन वसीम रिज़वी द्वारा सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किए गए हलफनामे की शिया समुदाय ने निंदा की है। 

 उत्तर प्रदेश के शामली ज़िले के बिडौली सादात गांव में आज जुमा की नमाज़ के बाद वसीम रिज़वी के खिलाफ प्रदर्शन किया गया। इस दौरान प्रदर्शनकारियों ने वसीम रिज़वी का पुतला फूंकते हुए उनके खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की। 

प्रदर्शनकारियों का कहना था की हम वसीम रिज़वी द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे से सहमत नहीं हैं और ये हलफनामा हमारे समुदाय को भाजपा के साथ जोड़ने की साज़िश है।

शहज़ाद क़ैसर नाम के एक प्रदर्शनकारी ने कहा कि सुन्नियों को ये नहीं सोचना चाहिए की शिया भाजपा के साथ हैं और भाजपा की बोली बोल रहे हैं। हम भी चाहते हैं आयोध्या में फैसला कोर्ट के ज़रिए हो। 

बता दें कि इससे पहले मजलिसे उलमा-ए-हिंद सहित कई शिया संगठनों ने भी वसीम रिज़वी द्वारा दाखिल हलफनामे को लेकर प्रदर्शन किया था। बीते कल मजलिसे उलमा ए हिंद ने  बयान जारी करते हुए कहा था की इस हलफनामे की कोई शरई और कानूनी हैसियत नही है।

वहीं सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड ने भी वसीम रिज़वी के बयानों पर आपत्ति जताई है। यूपी सुन्नी सेंट्रल वक़्फ़ बोर्ड के चेयरमैन ज़ुफर फारुकी ने अपने एक बयान में कहा है कि, “शिया वक्फ बोर्ड ने हाईकोर्ट में 2010 तक और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या विवाद से संबंधित कोई हस्तक्षेप लिखित या मौखिक रूप से कभी नहीं किया है। 

अब इस मौके पर वसीम रिज़वी का हस्तक्षेप महज़ सस्ती लोकप्रियता हासिल करना है। उन्होंने कहा कि इसके ज़रिए वसीम रिज़वी उनपर लगे आरोपों की जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रहे हैं।