सर सैयद डे: कोलकाता में AMU ओल्ड बॉयज संगठन ‘AMUOBA’ ने मनाया जश्न, देश के युवाओं को तालीमी नसीहत देने की कोशिश की!

अब्दुल हमीद अंसारी। कोलकाता AMU ओल्ड बॉयज ने बुधवार को सर सैयद डे मनाया गया। इस दौरान उनके चित्र पर मार्ल्यापण के बाद वर्तमान परिवेश में उनकी प्रासंगिकता पर चर्चा की गई। इस प्रोग्राम को अलीपुर स्थित नेशनल लाइब्रेरी कोलकाता में रखा गया।

इस प्रोग्राम के जरिए सर सैयद की जीवनी पर चर्चा की गयी। इस प्रोग्राम में AMU मुर्शिदाबाद सेंटर के डायरेक्टर को भी शामिल होने की दावत दी गई। उन्होंने शामिल होकर प्रोग्राम को औ बेहतर बनाने की कोशिश की। मुर्शिदाबाद सेंटर के डेवलपमेंट पर भी बात रखी गई।

इस प्रोग्राम के बारे में मेरी बात संस्था के एक वरिष्ठ मेंबर्स उस्मान ग़नी से हुई, उन्होने बताया कि इस प्रोग्राम का मकसद सर सैयद डे के जरिए मिशन को लोगों में जागरूकता पैदा करना है।

उस्मान ग़नी ने बताया कि इस प्रोग्राम को कामयाब बनाने और सभी अलीगढ़ीयन को एकजुट करने में शमशाद खान, अताउल्लाह खान, मोहम्मद मसीह, मोहम्मद नेज़ाम और वक़ार अहमद खान ने अहम भूमिका निभाई है। आगे उन्होंने बताया कि इसके बाद एक कॉन्फ्रेंस का आयोजन भी किया जाना है, जिसके लिए अभी तारीखों का ऐलान नहीं किया गया है।

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से पढ़ाई करके निकले लगभग सभी छात्रों ने दुनिया में परचम लहराया है। इनकी खासियत यह रही कि ये लोग चाहे जिस क्षेत्रों से जुड़े हो, उनकी कोशिश हमेशा से रही है कि सर सैयद अहमद खान के मिशन को आगे ले जाया जाए।

देश और दुनिया में कहीं भी रहे, ओल्ड बॉयज संगठन की कोशिश रही है कि किसी शिक्षण संस्थानों से जुड़े रहे और शिक्षा पर काम करे। कोलकाता एएमयू ओल्ड बॉयज संगठन के लगभग सभी मेंबर्स को जानता हूं। इस संस्था से जुड़े मेंबर्स भी सर सैयद के मिशन को आगे ले जाने की कोशिश करते रहे हैं। इस संस्था के सचिव वक़ार अहमद खान सहित लगभग सभी मेंबर्स को मैं बेहद करीब से जानता हूं। ये सभी मेंबर्स भी शिक्षा से जुड़े कामों में सहयोग करते रहे हैं।

मालूम हो कि १७ अक्टूबर जिसे पूरे हिन्दुस्तान में सर सैयद डे के तौर पर हिन्दुस्तान ख़ुशी के साथ मना रहा है। हिन्दुस्तान के इतिहास की ये अज़ीम शख्सियत जिसे लोग सर सैयद खां के नाम से जानते हैं। सर सैयद की महानता को क़बूल करना पूरे हिंदुस्तान और दुनिया के लिए ज़रूरी है वह इसलिए की सर सैयद ने एक नया रास्ता देशवासियो को दिखाया था जिसमे आधुनिक शिक्षा के बिना तरक़्की नामुमकिन थी।

हिन्दुस्तान पर अंग्रेज़ो की हुकूमत क़ायम होने के बाद देश में एक अजीब सी बदहवासी की हालत थी। लोग मुग़ल हुकूमत की जगह अँगरेज़ हुकूमत को स्वीकार नहीं कर पा रहे थे और अंग्रेज़ो से निजात पाने के लिए हर मुमकिन कोशिश कर रहे थे।

दिल्ली से लेकर दूर दूर तक अंग्रेज़ो के खिलाफ जनता बगावत करना चाहती थी। खास तौर से मुसलमानो पर हुकूमत की तब्दीली किसी मुसीबत से कम नहीं थी। इस वक़्त में सर सैयद जैसे मुजाहिद ने आधुनिक तालीम के लिए जिहाद किया और अपना सब कुछ दांव पर लगा दिया और लोगो को बता दिया की अगर इन अंग्रेज़ो से मुक़ाबला करना है तो आधुनिक तालीम को हासिल करना होगा।

सर सैयद मुग़ल दरबार के बहुत सम्मानित व्यक्ति थे। अपना ऐशो आराम और धन दौलत छोड़ कर एक फ़क़ीर की तरह निकल पड़े इसी धुन में की एक संसथान ऐसा क़ायम किया जाये जिसमे आधुनिक शिक्षा लोगो दी जा सके और अंग्रेज़ो से मुक़ाबला किया जा सके।

लक्ष्य मुश्किल था, मुस्लिम समाज किसी भी सूरत ऐसी शिक्षा हासिल नहीं करना चाहते थे जिसमे मज़हब न हो। सर सैयद के खिलाफ मज़हबी लोगो ने तूफ़ान खड़ा कर दिया लेकिन इस मर्दे मुजाहिद के क़दम नहीं लड़खड़ाए और अलीगढ में एक मुस्लिम एंग्लो ओरिएंटल कालेज के नाम से १८७५ में क़ायम किया।

जो आगे चलकर १९२० में अलीगढ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के नाम से मशहूर हुआ, इस विश्विद्यालय का नाम दुनिया के अच्छे विश्विद्यालयों में शुमार किया जाता है।