सपा-बसपा गठबंधन से बोखलाई भाजपा

उत्तर प्रदेश में दो सीटों के लिए होने वाले उप चुनाव ने लखनऊ से दिल्ली तक एक अजीब सी हलचल पैदा कर दी है। राज्य के गोरखपूर और फूलपूर संसदीय क्षेत्रों के चुनाव नतीजे चाहे जो भी हों, लेकिन समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच अचानक राजनीति सुलह से मतदाताओं के एक बड़े वर्ग में ख़ुशी की लहर दौड़ गई है और यह ख़ुशी साफ़ महसूस भी की जा सकती है।

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यह वर्ग है जो साम्पदायिक पार्टियों के मुकाबले में कम या ज़्यादा खराब सेकुलर पार्टी का चुनाव करते समय कशमकश का शिकार रहता है। कई बार उसके सामने उन दोनों पार्टियों के उम्मीदवार मैदान में होते हैं और वह तय नहीं कर पाता कि आखिर किस के पक्ष में वह अपना वोट करे।

यूपी में सुकून और इत्मिनान की सांस इस लिए भी लिए जा रही है कि एसपी और बीएसपी दोनों ही जनता से जुडी हुई जमीनी स्तर की पार्टी तो हैं, लेकिन एक दुसरे की कड़ी प्रतिद्वंद्वी भी हैं। इस लिए उनका साथ आना राज्य के जनता के लिए नेक फाल ही होगा। क्योंकि अगर यह दोनों पार्टियों में किसी तरह का गठबंधन करती हैं तो कांग्रेस और आरएलडी जैसी पार्टियाँ भी उनके साथ आने पर मजबूर होंगी।

और अगर ऐसा नहीं होता है तो वह न इधर की रहेंगी और न ही उधर की। वहीं दूसरी ओर सत्तारूढ़ भाजपा के नेताएं मुख्यमंत्री के साथ एसपी और बीएसपी के संगठन पर तंज़ कर रहे हैं, उसका मजाक उड़ा रहे हैं। लेकिन राजनीतिक सुलह और अतीत के महागठबंधन की आहट से वह उतने ही डरे हुए फिक्रमंद भी हैं।