सहरी में जगाने की रिवायत खत्म होने की तरफ

“ उठो सोने वाले सहरी का वक्त है, उठो अल्लाह के लिये अपनी मगफिरत (गुनाहों की माफी ) के लिये ” जैसे पुर तरन्नुम गीत गाते और शेरो-शायरी करते पुरानी तहजीब के रहनुमा माने जाने वाले फेरीवालों की सदाएं वक्त के थपेड़ों और समय ने ऐसी आवाजो को खामोश कर दिया है