भदभदा रोड स्थित कलखेड़ा निवासी 24 वर्षीय तलतजहां ऑटो रिक्शा चलाती हैं। वे शहर की पहली महिला ऑटो चालक हैं। तलतजहां सुबह 7 बजे हबीबगंज रेलवे स्टेशन पहुंच जाती हैं और शाम 6 बजे तक ऑटो चलाती हैं।
वे रोजाना 400-500 रुपए कमा लेती हैं। उनके परिवार में मां फिरोजा बी, पिता अहमद नूर और दो छोटे भाई समीर व हमीद हैं। मां गृहिणी हैं, पिता मजदूरी करते हैं और छोटे भाई एक दुकान पर वेल्डिंग का काम करते हैं।
डीबी स्टार टीम को तलतजहां ने बताया कि एक साल पहले उनकी शादी सागर रोड स्थित हिरणखेड़ा निवासी अख्तर खां से हुई थी। अख्तर ट्रक ड्राइवर है। शादी के कुछ दिनों बाद पति अख्तर और उसका परिवार दहेज की मांग करने लगे। परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। इस कारण वे उनकी मांग पूरी नहीं कर पाते थे।
इसलिए पति द्वारा तलतजहां के साथ आए दिन मारपीट की जाती थी। पांच महीने तक प्रताड़ना झेलने के बाद वह अपने मायके आ गई। इसके बाद उसने स्वावलंबी बनने की ठानी और ऑटो चलाने का फैसला किया।
उन्होंने बताया कि उनके पति ट्रक चलाते हैं, इसलिए उसकी बराबरी करने वे ऑटो चालक बनीं। साथ वे ऐसी महिलाओं के लिए मिसाल बन गई हैं, जो ऑटो चलाने में झिझकती हैं। आरटीओ से भी उन्हंे ऑटो चलाने का लाइसेंस मिल चुका हैं।
तलतजहां का कहना है कि जब मैंने ऑटो चलाना शुरू किया था, तब कुछ लोग मुझे बुरी नजरों से देखते थे। लेकिन हकीकत यह है कि आज मैं जहां से ऑटो लेकर निकलती हूं तो लोग मुझे देखकर खुश होते हैं। वे मुझे बहादुर बेटी कहते हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि पहले मैं खुद को असुरक्षित महसूस करती थी। लेकिन अब जो भी महिलाएं मेरे ऑटो में सफर करती हैं, वे खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं।
ससुराल से मायके आने के बाद तलतजहां ने अपनी पीड़ा गौरवी (सखी) वन स्टाप सेंटर की संचालक शिवानी सैनी को बताई। उन्होंने तलतजहां की हर स्तर पर मदद की और उसे स्वावलंबी बनाया।
सखी केंद्र ने वर्ष 2017 में घरेलू हिंसा की शिकार 10 महिलाओं को ऑटो रिक्शा चलाने के लिए सिलेक्शन किया। उन्हें एक मैदान में 15 दिन लगातार ऑटो चलाने का प्रशिक्षण दिया गया।
ऑटो रिक्शा खरीदने के लिए मेरी अम्मी फिरोजा बी ने कुछ रुपए बचाकर रखे थे, वो मुझे दे दिए। 8 मार्च 2018 को महिला दिवस के मौके पर उन्होंने नया ऑटो रिक्शा खरीदा और तब से रिक्शा चलाना शुरू कर दिया। 10 में से वे एक मात्र महिला ऑटो चालक बन पाईं, क्योंकि 9 महिलाएं कुछ समस्याओं के कारण ऑटो रिक्शा नहीं खरीद सकीं।
तलतजहां ने बताया कि मेरे ऑटो में बैठने वाली सवारियां सराहना करती हैं। कुछ पुरुष ऑटो चालक छींटाकशी करते हैं। लेकिन मैं उन्हें नजरअंदाज कर देती हूं। सरकार की तरफ से मुझे किसी तरह की कोई मदद नहीं मिली है। महिला दिवस पर मुख्यमंत्री खुद मेरे ऑटो रिक्शा में बैठकर मेरी प्रशंसा कर चुके हैं।