तीन तलाक पर बिल पास, लेकिन सवालात अभी बाक़ी है

सरकार ने तीन तलाक़ से संबंधित बिल संसद में पेश कर ही दिया ऐसा नहीं होगा उसकी उम्मीद नहीं थी उसके बावजूद एक आशंका यह थी कि सरकार समाज के कई तबक़े की ओर से पेश किए एतराज़ और अर्जियों आवेदनों का नोटिस लेगी जिन में कई बैटन के अलावा खास तौर पर यह बताया गया था कि मौजूदा हालत में बिल न मुकम्मल है।

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लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्यों नहीं हुआ यह भी किसी से छुपा नहीं है क्योंकि बिल के पीछे सरकार का राजनितिक है। आबादी के एक वर्ग या उस वर्ग की महिलाओं को कोई सच में राहत या फायदा पहुंचना हरगिज़ नहीं है।

राहत या फायदा पहुँचाना होता तो महिलाओं के मुद्दे पर तवज्जह दी जाती और मौजूदा कानून को लागु करने पर ध्यान केन्द्रित की जाती। उस से सिर्फ मुस्लिम महिलाएं नहीं बल्कि देश की सभी महिलाएं फायदा उठातीं। वह तमाम मुद्दे धरे के धरे हैं और सरकार ने एक बहुत बड़ा मुद्दा ढक कर तीन तलाक का मामला इस जोर शोर से उठाया कि किसी की कोई बात नहीं सुनी, बिल भी बना लिया, बिल पेश भी कर दिया और सदन में अपनी बहुसंख्यक का फायदा उठाकर उसे पास भी करवा लिया।