वैलेंटाइन डे स्पेशल: जब इस योद्धा ने प्यार की खातिर एक चट्टान के दो टुकड़े किए

हर साल की तरह लीग आज के दिन को वैलेंटाइन डे के तौर मनाते हैं, आज हर वो प्यार करने वाले अपने प्यार को पाने के लिए सारी हदों से गुजर जाना चाहते हैं।
वैलेंटाइन डे के दिन के दिन आपने हीर-रांझा, रोमियो-जूलिट की तमाम कहानियां सुनी होंगी। लेकिन आज आप प्यार के जिस योद्धा को जानेंगे वो इन सब से अलग हैं।

हम बात कर रहे हैं दसवीं सदी में बलिया में रहने वाले वीर लोरिक की। जिस वक्त उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के गौरा के रहने वाले वीर लोरिक अहीर ने 200 किमी दूर सोनभद्र के अगोरी स्टेट की रहने वाली मंजरी को अपना प्रेम प्रस्ताव दिया तो मंजरी कई रातों तक सो नहीं सकी थी। मगर मंजरी को देखने के बाद लोरिक ने सोच लिया था कि वो मंजरी के अलावा किसी से ब्याह नहीं करेगा,उधर मंजरी के ख्यालों में भी दिन रात केवल लोरिक का मासूम चेहरा और बलशाली भुजाएं थी।

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लोरिक और मंजरी की दसवीं सदी की यह प्रेम कहानी आज भी समूचे उत्तर भारत के आदिवासी समाज के जीवन का हिस्सा है। वो इस प्रेम कहानी से न सिर्फ प्रेम करना सीख रहा है बल्कि अपनी संस्कृति और विरासत के प्रति जवाबदेह भी बना हुआ है। मंजरी के कहने पर ही वीर लोरिक ने अपनी तलवार से पत्थर के दो टुकड़े कर दिया था। जो आज भी मौजूद है।

 

आदिवासियों के नायक लोरिक की कथा से सोनभद्र के ही एक अगोरी किले का गहरा सम्बन्ध है, यह किला आज भी मौजूद तो है मगर बहुत ही जर्रर अवस्था में है। ईसा पूर्व निर्मित इस किले का दसवीं शती के आसपास खरवार और चन्देल राजाओं ने पुनर्निर्माण कराया था। दरअसल मंजरी अगोरी के रहने वाले मेहर नाम के ही एक अहीर की बेटी थी, जिस पर अगोरी के राजा मोलाभागत की निगाह थी।

इसके बारे में कहा जाता है कि वो बेहद अत्याचारी था। जब मेहर को बेटी के प्यार का पता चला तो वो भयभीत हो गया क्यूंकि उसे मोला भगत के मंसूबों का पता था। मेहर ने लोरिक से तुरंत संपर्क किया और मंजरी से जिसका घर का नाम चंदा था तत्काल ब्याह करने को कहा।

खैर लोरिक और मंजरी की शादी हो गई और मंजरी की विदाई के बाद डोली मौजूदा वाराणसी शक्तिनगर मार्ग के मारकुंडी पहाडी पर पहुंची। जहाँ पर नवविवाहिता मंजरी लोरिक के अपार बल को एक बार और देखने के लिए चुनौती दी और कहा कि कुछ ऐसा करो जिससे यहां के लोग याद रखें कि लोरिक और मंजरी कभी किस हद तक प्यार करते थे।

लोरिक ने पूछा कि बोलो मंजरी क्या करूँ ?मंजरी ने लोरिक को एक विशाल चट्टान दिखाते हुए कहा कि वो अपने तलवार से इस चट्टान को एक ही वार में दो भागो में विभक्त कर दें – लोरिक ने कुछ ऐसा ही किया और अपनी प्रेम -परीक्षा में पास हो गए उस अद्भुत प्रेम का प्रतीक वो खंडित शिलाखंड आज भी मौजूद हैं। मंजरी ने खंडित शिला से अपने मांग में सिन्दूर लगाया था। बता दें कि उनकी तलवार 85 मन की थी। युद्ध में वे अकेले ही हज़ारो के बराबर थे।