होली के कुछ अलग अंदाज: बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि पक्षकारों ने एक दूसरे को रंग लगाया

इस बार की होली के कुछ अलग अंदाज देखने को मिले। अयोध्या में बाबरी मस्जिद और अयोध्या में राम जन्मभूमि के पक्षकारों ने खेली होली। एक दुसरे को रंग लगाकर दी बधाई। यह तहज़ीब हिन्दुस्तान की गंगा जमुनी (संस्कृति) तहज़ीब है। इस देश की यही बड़ी उपलब्धि है, जब हम हिन्दू मुस्लिम समुदाय के लोग आपस में मिलकर त्योहार मनाया करते हैं।

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जागरण डॉट कॉम पर छपी खबर के अनुसार। होली की पूर्व संध्या पर हिंदू-मुस्लिम एकता की मिसाल रामजन्मभूमि में दिखाई दी। यहां राम मंदिर के पक्षकार महंत धर्मदास और बाबरी मस्जिद विवाद के मुक़दमेबाज मुस्लिम पक्षकार इकबाल अंसारी को अबीर-गुलाल लगाकर होली की बधाई दी।
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इनके साथ ही रामजन्मभूमि के मुख्य पुजारी सत्येंद्र दास, तपस्वी छावनी के संत परमहंस दास, बबलू खान गले लगकर एक-दूसरे को जमकर रंग लगाया। रंगो के इस पावन पर्व पर कई सालों से विवाद को लेकर पूरे देश में चल रहे तनाव को कम किया है। दोनों ने एक दूसरे को रंग लगाकर पूरे भारतवासियों को होली की शुभकामनाएं दी हैं।

अपने पिता हाशिम अंसारी की मृत्यु के बाद इकबाल अंसारी अयोध्या विवाद में मुस्लिम पक्ष के मुद्दई में से एक हैं। वहीं, हिंदू पक्ष की तरफ से याचिकाकर्ताओं में महंत धर्मदास का नाम शामिल है।

होली के मौके पर इकबाल अंसारी ने अयोध्या में महंत धर्मदास से मुलाकात करते हुए त्योहार की मुबारकबाद दी। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद को सुलझाने के लिए तीन मध्यस्थों की एक कमिटी बनाई थी। 12 मार्च को समिति ने अयोध्या का दौरा किया था।

मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की संवैधानिक बेंच ने नौ मार्च को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद के सर्वमान्य समाधान के लिए यह बड़ा फैसला दिया था।

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जस्टिस एफएमआई कलीफुल्ला इस समिति के अध्यक्ष हैं। समिति के अन्य मध्यस्थों में आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और वरिष्ठ वकील श्रीराम पांचू शामिल हैं।

खास बात यह है कि मध्यस्थता के जरिए मामले को सुलझाने की प्रक्रिया आठ हफ्ते में पूरी हो जाएगी। इसके साथ ही कोर्ट ने फैजाबाद में ही मध्यस्थता को लेकर बातचीत करने के निर्देश दिए हैं।

जब तक बातचीत का सिलसिला चलेगा, पूरी बातचीत गोपनीय रखी जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कहा है कि समिति में शामिल लोग या संबंधित पक्ष कोई जानकारी नहीं देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मध्यस्थता की प्रक्रिया बंद कमरे में होनी चाहिए।