VIDEO: आखिर क्या है मुसलमानों की पिछड़ेपन का असली कारण?

इस विडियो में एक मुस्लिम स्कॉलर ने बहुत सारे रिपोर्ट्स के हवाले से क़ुरान व हदीस की रौशनी में बताते हुए कहा कि क़ुरान की पहली आयत इकरा है, जिसका मतलब पढ़ना होता है। यानी अल्लाह का भी यही पैगाम है कि पढ़ो। विडियो में उनहोंने अफ़सोस व्यक्त करते हुए बताया कि जिस कौम को पढने के लिए अल्लाह ने भी हिदायत किया है उसी कौम (मुसलमान) की शिक्षा का स्तर लगातार गिरती जा रही है।

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उनहोंने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि ‘एक यूरोपियन नागरिक साल में औसतन 35 किताबें पढ़ते हैं, वहीँ एक इजराइली नागरिक (यहूदी) साल में 40 किताबें पढता है, जबकि एक मुस्लिम या अरबियन साल में औसतन एक किताब या उससे कम ही पढ़ता है’। उनहोंने कहा कि यही वजह है कि आज दुनिया में मुसलमानों कि स्थति गंभीर और चिंता जनक होती जा रही है और हमारा पतन चरम पर है।

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