VIDEO : शशि थरूर से जानें, ‘मैं हिंदू क्‍यों हूं?’

कांग्रेस नेता और तिरुअनंतपुरम से लोकसभा सदस्‍य शशि थरूर ने अपनी नई किताब ‘मैं हिंदू क्‍यों हूं’ (Why am I Hindu) लिखने की वजह बताई. प्रसिद्ध कवियत्री अरुंधती सुब्रमण्‍यम से बात करते हुए शशि थरूर ने कहा कि ‘राजनैतिक हिंदुत्‍व’ के विकास और ‘हिंदुत्‍व’ की अवधारणा का केंद्रीय राजनीतिक विमर्श में आना तात्‍कालिक रूप से इस किताब को लिखने की मुख्‍य वजह रही.

शशि थरूर ने कहा कि उन्‍होंने अपनी किताब में स्‍वामी विवेकानंद को विस्‍तृत संदर्भों में उद्धरित किया है. स्‍वामी विवेकानंद का उन्‍होंने विशद अध्‍ययन किया है और उनकी भारतीय संस्‍कृति की अवधारणा को पेश किया है, जोकि दीनदयाल उपाध्‍याय और वीडी सावरकर के हिंदुत्‍व की धारणा को पेश करनी वाली विचारधारा के बरक्‍स प्रतिध्‍वनित होती है. शशि थरूर ने कहा, ”इस धारणा को चुनौती देने की जरूरत है कि हिंदुत्‍व केवल संघी-भारतीय हिंदुत्‍व नहीं है. देश में बहुसंख्‍यक लोगों को हिंदू होने पर गर्व है लेकिन यह अन्‍य धर्मों की अवज्ञा पर आधारित नहीं है. इसलिए इस वक्‍त यह बेहद अहम है कि वैचारिक और सांस्‍कृतिक रूप से स्‍वामी विवेकानंद के दर्शन को रुपायित किया जाए क्‍योंकि इस वैचारिक दर्शन को मानने वाले अधिसंख्‍य लोग मौजूदा दौर की अधिरोपित की जा रही हिंदुत्‍व विचारधारा के समर्थक नहीं है.”

शशि थरूर ने कहा कि हिंदू विचार-दर्शन उदार रूप से ‘सत्‍य का अन्‍वेषी’ होने से है. लिहाजा ‘उदारता की प्रवृत्ति सहज रूप से हिंदुत्‍व के केंद्रीय विमर्श का हिस्‍सा है.’ अपने जीवन के अनुभवों के बारे में बताते हुए शशि थरूर ने कहा कि एक मध्‍यवर्गीय परिवार में 14 साल की उम्र में परवरिश के दौरान उन्‍होंने देखा कि पिता रोज प्रार्थना करते थे लेकिन कभी उनको हिस्‍सा लेने के लिए नहीं कहा. शशि थरूर ने कहा, ”मैं हिंदू क्‍यों हूं? क्‍योंकि मेरा इसमें जन्‍म हुआ है. यदि आप हिंदू हैं तो अधिकांशतया तो आप यह सोचते ही नहीं कि आप हिंदू क्‍यों हैं?…यह एक ऐसी आस्‍था है जिसमें सवाल पूछने की गुंजाइश है…विश्‍वास एक तरह से आप और आपकी ईश्‍वसरीय संकल्‍पना के बीच का मामला है.”

स्‍वामी विवेकानंद के 1899 के शिकागो की विश्‍व धर्म संसद में दिए भाषण को उद्धरित करते हुए शशि थरूर ने कहा कि हिंदू होने के नाते वह महसूस करते हैं कि सहनशीलता की तुलना में स्‍वीकार्यता अधिक बड़ा गुण है. उनके मुताबिक ”सहनशीलता गुण सरीखा दिखता है लेकिन इसमें संरक्षणवाद की भावना निहित है. यह दर्शाता है कि मैं यह जानता हूं कि यह सही क्‍या है लेकिन इसके बावजूद आपके गलत होने के अधिकार का सम्‍मान करता हूं. वहीं दूसरी ओर स्‍वीकार्यता यह बताती है कि मैं आपका सत्‍य स्‍वीकार करता हूं और आप मेरा.”