साल 2013 के बाद आख़िर क्यों बदल रहा है भारतीय मुसलमान ? – नवेद चौधरी

अचानक से पाकिस्तान बनने के 70 साल बाद भारत के मुसलमान पाकिस्तान की जीत पर खुशियां मनाने लग जाते हैं,पटाख़े छोडने लग जाते हैं,ढोल ताशे बजाने लग जाते हैं.मानो यह 70 साल में पहला मैच हुआ हो.इससे पहले भारत ने ना तो कभी क्रिकेट पाकिस्तान से हारा था,और ना ही कभी कोई क्रिकेट मैच हुआ होगा.

इससे पहले इन 70 सालों में भारतीय मुसलमानों के दिलों में पाकिस्तान प्रेम ना कभी जागा और इन 70 सालों में भारत पाकिस्तान में कभी कोई जंग भी नहीं हुई होगी ? ऐसा लगता है मानों देश 2013 के बाद ही आज़ाद हुआ हो ? इससे पहले ना तो कभी पाकिस्तान बना होगा और न ही भारतीय मुसलमानों ने पाकिस्तान की जीत का जश्न मनाया होगा ?

असल में 2013 के बाद भारत सरकार पर जिन लोगो ने क़ब्ज़ा जमाया है वह लोग देश में डर का माहौल बनाना चाहते हैं डर भी ऐसा की जिससे हर तबक़ा हर जाति और धर्म के मानने वाले डरे रहें हैं और यह साम्प्रदायिक लोग सत्ता का मज़ा भोगते रहें. जिसमें एक अहम रोल मीडिया ने बखूबी निभाया है,मीडिया ने ना केवल झूठ को सच बताया बल्कि ज़ीरो को हीरो भी इस ही मीडिया ने बनाया है.

हज़ारों से सालों से भारत में रह रहे बहुसंख्यक हिंदुओ को यह एहसास दिलाया जाता है कि मुसलमान तुम्हारी जान के दुश्मन हैं अगर तुमने हमें नहीं जिताया तो वह लोग तुमपर हावी हो जाएंगे तुम हमें जिताओ तो “राम मंदिर” तो बनेगा ही बनेगा साथ ही भारत को हिन्दू राष्ट्र भी हम बनाकर दम लेंगे.वहीं दूसरी ओर सत्ता में पूर्ण बहुमत में आने के बाद एक के बाद एक ना जाने कितने मामलों ने मुसलमानों को यह एहसास दिलाया कि तुम यहाँ के शहरी नहीं तुमहारे लिए इस देश में कोई जगह नहीं.

कोई भी ऐरा गैरा आकर मुसलमानों को राष्ट्रवादी पाठ पढ़ा जाता है.मुसलमानों को कभी गाय के नाम पर तो कभी धर्म के नाम इतनी बेरहमी से मार दिया जाता है कि मुसलमानों के दिलों में डर बैठ जाता है.और वह अपने ही देश में डर के साये में जीने लग जाते हैं.ऐसा नहीं है कि यह हिंसाएं केवल मुसलमानों के साथ ही हो रहीं हैं.ऊंच नीच की आग आज भी भारत की जड़ो को अंदर ही अंदर जला कर राख करने का काम कर रही है.

दलितों को कभी गुजरात मे पीट दिया जाता है तो कभी सहारनपुर में उन्हें ज़िंदा जला दिया जाता है.. रुकिए अभी बस इतना भर ही नहीं सिखों को जहां खालिस्तानी कहकर उनके धर्म ग्रंथ का अपमान करदिया जाता है तो वहीं ईसाईयों को इस नफ़रत की आग में झोंक दिया जाता है.,कभी आपने सोचा है देश के यह हालात अपने आप नहीं बने.? इन हालातों को बनाया गया है,ताकि देश गृह युद्ध की तरफ़ जा गिरे और वह साम्प्रदायिक ताक़तें हिन्दू राष्ट्र बनाने में कामियाब हो जाएं.

मुसलमानों को जानबूझ कर देश के कोने कोने में सताया जा रहा है ताकि मुसलमान सड़कों पर आये और देश में कोई एक आंदोलन छेड़ दें.और संघ और भाजपा को एक तगड़ा मुद्दा मिल जाए जिसमें हिंदुओ को यह कहकर डराया जाए कि देख लो अगर तुमने इस सफेद दाड़ी वाले इंसान को नहीं जिताया तो यह देश भी मुस्लिम राष्ट्र घोषित करदिया जाएगा.

यह देश मे एक एक बयान दिलवाना, एक एक घटना ,भीड़ के द्वारा हत्यायें, क़ानून की लाचार व्यवस्था,मुख्य आरोपियों का बाइज़्ज़त बरी छूटना,छोटी छोटी बातों पर ढंगे भड़क जाना.क़ानून की नाक के नीचे ट्रैनिंग कैम्प चलाना, खुले आम त्रिशूल बांटना,हथियार चलाने की ट्रैनिंग देना,मुसलमानों को देश द्रोही पाकिस्तानी कहना,40/50 सालों में अब आज़ान से दिक्कत होना,दिल्ली में मस्जिद शहीद करना.

यह सब कुछ जो भी हो रहा है सब पूरी प्लानिंग से किया जा रहा है,इनका एक ही मक़सद है कि 2019 में सत्ता में वापस आना और 2022 तक भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करना है.गोदी मीडिया ने जिस तरह से पाकिस्तान की मस्जिद की वीडियो भारत की वीडियो बताकर देश में दंगे करवाने की साज़िश रची है उसका ज़िम्मेदार कौन होगा ? बेशर्मी की हद तो यह है कि वीडियो दिखाने वालों की तरफ़ से अब तक माफ़ी तक भी नहीं आई यह है

हमारी देश की पत्रकारिता.? मीडिया ने वैसे यह कोई नया काम नहीं किया है,मीडिया भी संघियों के नक़्शे क़दम पर है, जिस तरह संघी पाकिस्तान की वीडियो जिसमें गाय काटते,तिरंगा जलाते और हिन्दोस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाते हुए दिखाते है और उस वीडियो कभी कश्मीर को कभी कहीं से जोड़ देते हैं वही काम आज कल मीडिया कर रही है.

सोचने वाली बात तो यह कि कश्मीरी अपने आपको पाकिस्तानी कहते हैं तो भारतीय सेना उनके लठ बरसाते हुए उन्हें भारतीय होने का एहसास दिलाती है तो वहीं दूसरी तरफ़ भारतीय मुसलमान अपने आपका भारतीय होने पर गर्व करते हैं तो उन्हें पाकिस्तान की हार पर चिढ़ाया जाता है,उनपर टोंट कसी जाती हैं, और तो और भारतीय मुसलमानों से हर मैच से पहले जानभुझकर पूछा जाता है कि भाई किस तरफ़ हो ?

पाकिस्तान के लिए जासूसी करते पकड़े जाएं संघी ?

पाकिस्तानी बिरयानी खाएं संघी,नवाज़ को तोहफ़े भेजे संघी ? जिन्ना की मजार पर रोकर आएं संघी..पाकिस्तान की जीत पर ट्विटर के ज़रिए बधाई दें संघी और सर्टिफिकेट मांगे मुसलमानों से ?

भारत के मुसलमानों ने अब तक तो पाकिस्तान के पक्ष में कभी कुछ नहीं बोला लेकिन अगर पाकिस्तान की जीत पर जश्न मनाने वाले अगर मुठ्ठी भर लोग 70 सालों के बाद आज जश्न मना रहें हैं तो यह गंभीरता की बात है और ना कि केवल जश्न मनाने वालों के लिए बल्कि इस हुक़ूमत के लिए भी क्योंकि कुछ ना कुछ तो उनके साथ ऐसा हुआ ही होगा जो उन्हें पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा कर गया.?

नवेद चौधरी