खट्टर का इस्तीफा क्यों मांग रहे कुछ न्यूज़ चैनल?

कुछ न्यूज़ चैनल्स बलात्कारी गुरमीत राम रहीम के गुर्गों से ज्यादा हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार पर भड़क रहे हैं। भड़कना सही भी है। बहरहाल, कुछ चैनल तो साफ-साफ शब्दों में अपनी ‘राय’ जाहिर कर रहे हैं कि खट्टर को मुख्यमंत्री पद से तुरंत हटाया जाना चाहिए। तो चैनलों के इस गुस्से, इस नाराजगी का राज क्या है? दरअसल, चैनलों का गुस्सा इसलिए नहीं है कि एक बलात्कारी बाबा के लिए भीड़ पागल होकर सड़कों पर हिंसा करने लगी। अगर ऐसी बात होती तो ये चैनल आतंकवाद के आरोपी सेना के अफसर को महज जमानत मिलने पर उसे ‘हीरो’ की तरह पेश नहीं करते। चैनलों का गुस्सा इस बात पर भी नहीं है कि हिंसा में दर्जनों लोग मारे गए और करोड़ों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ। अगर ऐसा होता तो गोरखपुर में 60 बच्चों की मौत के बाद इन चैनलों ने अपनी ‘राय’ जाहिर कर योगी आदित्यनाथ का इस्तीफा मांगा होता। एक के बाद एक कर हो रहे रेल हादसों पर सुरेश प्रभु का इस्तीफा मांगा होता। इन चैनलों की नाराजगी की वजह ये भी नहीं है हरियाणा की हिंसा में इनके पत्रकार और कैमरामैन पिट गए। मध्य प्रदेश के व्यापमं घोटाले ने ‘आजतक’ के पत्रकार अक्षय सिंह की जान ले ली थी। लेकिन आज अक्षय के चैनल को उसकी मौत की जांच या उसके परिवार की कोई फिक्र है? अगर चैनलों को अपने रिपोर्टरों की इतनी ही चिंता होती तो वो उन्हें ‘सेफ्टी किट’ के साथ भेजते। ये नहीं कि बस माइक और कैमरा उठाकर चल दो ओबी वैन में। कितने चैनल अपने पत्रकारों का हेल्थ/मेडिक्लेम इंश्योरेंस कराते हैं? दरअसल, न्यूज़ चैनलों के गुस्से का असल राज ये है कि हरियाणा में हुई हिंसा में उनके OB Van वगैरह जला दिए गए, जिससे उनके मालिकों का लाखों रुपए का नुकसान हुआ है। अब उनका पूरा जोर इस बात पर है कि खट्टर को दबाव में लाकर मालिक को हुए नुकसान की पूरी भरपाई हरियाणा सरकार के पैसे से कराई जाए। हालांकि, खट्टर सरकार खुद कह चुकी है कि वो मीडिया को हुए नुकसान की भरपाई करेगी। बहरहाल, मुद्दा ये है कि इन चैनलों के कड़े तेवर देखकर इन्हें निष्पक्ष समझने की भूल न करें। अगर इनमें वाकई निष्पक्षता होती तो इन्होंने पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट की उस सख्त टिप्पणी के बारे में अपने दर्शकों को बताया होता, जिसमें अदालत ने कहा कि ‘मोदी भाजपा के नहीं, भारत के प्रधानमंत्री हैं।’ अगर ये चैनल इतने ही ‘बेबाक’ होते तो सीधा नरेंद्र मोदी से सवाल करते कि वो बार-बार नाकाम हो रहे खट्टर को क्यों बचा रहे हैं। आपको शायद याद होगा कि मोदी ने ही कमोबेश गुमनामी में राजनीति कर रहे खट्टर को सीधा मुख्यमंत्री पद पर बिठा दिया था।

Priyabhanshu Ranjan