संयुक्त राष्ट्र संघ की मांग- ‘रोहिंग्या नरसंहार का मुकदमा अंतरराष्ट्रीय अदालत में चलाया जाए’

मानवाधिकार के लिए संयुक्त राष्ट्र संघ की राजदूत यंगही ली ने संयुक्त राष्ट्र संघ को रोहिंग्या मुसलमानों के नस्लीय सफ़ाए और उनके खिलाफ़ होने वाले युद्ध अपराधों का मुक़द्दमा अंतर्राष्ट्रीय अदालत शुरू करने की मांग की है।

उन्होंने कहा है कि म्यांमार की सरकार रोहिंग्या मुसलमानों के ख़िलाफ़ होने वाले अत्याचार की जांच में गंभीर नहीं है।

संयुक्त राष्ट्र संघ के तथ्य परक मिशन ने मांग की है कि म्यांमार के शीर्ष नेतृत्व से नस्लीय सफ़ाए और युद्ध अपराध के मामले में पूछताछ की जानी चाहिए। यंगही ली ने कहा कि राख़ीन राज्य में म्यांमार की सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों पर बड़े भयानक अपराध किए हैं जिसके नतीजे में 7 लाख 20 हज़ार लोगों को पड़ोसी देश बांग्लादेश में शरण लेनी पड़ी है।

म्यांमार की सरकार ने दावा किया है कि सरकारी स्तर पर बनाई गई जांच कमेटी मामले की जांच कर रही है।

यंगही ली ने कहा कि म्यांमार की सरकार ने अपराधों के संबंध में निष्पक्ष जांच के लिए बहुत सीमित स्तर पर तत्परता दिखाई और बिल्कुल अस्पष्ट क़दम उठाए हैं।

उन्होंने ट्वीटर एकाउंट पर रिपोर्ट में कहा कि म्यांमार की सरकार भरोसेमंद, तत्काल, संपूर्ण, आज़ाद और निष्पक्ष जांच करने में न तो गंभीर है और न ही इसके क़ाबिल है। उन्होंने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय अदालत की ज़िम्मेदारी है कि वह न्याय दिलवाए।

यंगही ली ने चेतावनी दी कि यदि न्याय दिलाने में देरी होती रही तो हिंसा की और भी घटनाएं हो सकती हैं। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र संघ को सुझाव दिया कि इस मामले को अंतर्राष्ट्रीय अपराध कोर्ट में तत्काल भेज दिया जाए।

दूसरी ओर अंतर्राष्ट्रीय अदालत का कहना है कि जांच की प्रक्रिया बांग्लादेश में रहने वाले रोहिंग्या शरणार्थियों से शुरू होगी क्योंकि म्यांमार अंतर्राष्ट्रीय अदालत के दायरे में नहीं आता।