14 सौ साल पहले सोने के जिस तरीक़े को पैगंबर मोहम्मद ने नापसंद किया था, आज वह मेडिकल सलाह है

सभी इस्लामिक शिक्षा प्रक्रतिक सिद्धांतों और अच्छे उसूलों पर आधारित है। जिसे समय समय पर विज्ञान ने भी अपनाया। जैसा कि हम हर दिन के गतिविधियों के बारे में लापरवाह हैं। हम रात को भी लापरवाह होते हैं, जब सोने का समय आता है। बहुत से लोग इस को आरामदायक बनाते हैं लेकिन कुछ लोग गलत तरीके को अपनके फंस जाते हैं।

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बहुत से लोग इस सच्चाई को नहीं जानते कि पेट के बल लेटने या सोने से हमारे स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।हमारे प्यारे पैगंबर मुहम्मद (सल्लल्लाहु ‘अलैही वा सल्लम) ने हमें (मुस्लिम) 1400 साल पहले सोने के तरिके के बारे में बताया था कि इस सोने के तरीके को अल्लाह ने नापसंद किया है। यह घटना कुछ इस तरह है कि..

एक बार मोहम्मद सअ ने देखा कि एक आदमी मैदान में पेट के बल सोया हुआ है। मोहम्मद साअ उसके पास गए उनको जगाने के लिए अपने पैर से ठोकर दिया वह आदमी उठा और देखा कि सामने नबी सअ हैं, मोहम्मद सअ ने कहा कि इस सोने के तरीके को अल्लाह ने नापंसद किया है।

सदियों बाद, मेडिकल साइंस ने हमें बताया कि सोने का यह तरीका स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा है।

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