देश के इस लोकसभा सीट पर मुस्लिम वोटर्स एकजुट हो जाये तो किसी को भी भेज दे संसद!

राजस्थान की सियासत में मेवात का इलाका अपने आप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मेव-मुसलमान बहुल इस इलाके में कांग्रेस का दबदबा पुराना रहा है। हिन्दू वोटों का अगर ध्रुवीकरण ना हो तो यहां कमल खिलना इतना आसान नहीं रहे, लेकिन हिन्दू – मुस्लिम कार्ड से बीजेपी को लाभ हो जाता है।

अलवर जिले के तिजारा, किशनगढबास, अलवर ग्रामीण, रामगढ़, लक्ष्मणगढ राजगढ विधानसभा क्षेत्र आते है। भरतपुर जिले के नगर और कामां विधानसभा क्षेत्र आते है। खास बात यह है कि बरकतउल्ला खां तिजारा से विधायक बने थे और बाद में राज्य के मुख्यमंत्री कहलाये, हालांकि मूल रुप से जोधपुर के थे।

मेव मुसलमानों के सबसे बड़े नेता तैयब हुसैन रहे, हुसैन पहले ऐसे नेता है जो पूरे हिन्दुस्तान में 3 राज्यों में कैबिनेट मंत्री रहे पंजाब, हरियाणा और राजस्थान। कांग्रेस विधायक रही जाहिदा उनकी बेटी है।

तैयब हुसैन के बेटे फजल हुसैन मांग रहे तिजारा से कांग्रेस का टिकट।
कांग्रेस के दुरु मियां और जुबेर खान मेवात के बड़े नेता। दिवंगत माहिर आजाद भी यहां के बड़े नेता रहे थे। बीजेपी में बड़े नेता है और पूर्व मंत्री नसरुं खां, जनता दल से चुनाव जीते थे और बीजेपी में शामिल हुये, हालांकि वे कभी बीजेपी के टिकट पर चुनाव नहीं जीते।

बीजेपी अल्पसंख्यक मोर्चा भी यहां सक्रिय। मेवात की खास बात यह है कि यहां हिन्दुओं में सबसे लोकप्रिय नेता रहे नटवर सिंह, उनकी स्वीकार्यता का आलम यह रहा कि कामां जैसी घोर मेव बहुल सीट पर उनके पुत्र जगत सिंह को जीत मिली और मेव वोट भी।

फर्स्ट इंडिया न्यूज़ और डेली हंट के अनुसार, पूरे अलवर लोकसभा क्षेत्र में मेव-मुसलमान मतदाता है 2 लाख 20 हजार के लगभग। यादव और दलित मतदाताओं के बाद तीसरे नम्बर आते है मेव-मुसलमान वोट। पहले बात करते है तिजारा विधानसभा क्षेत्र की। तिजारा में मेव-मुसलमान मतदाताओं का आबादी 60 हजार के लगभग।

किशनगढ़बास विधानसभा क्षेत्र में मेव-मुसलमान है 25 हजार के लगभग। अलवर ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में मेव-मुसलमानों की जनसंख्या है करीब 40 हजार। रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में सर्वाधिक मेव-मुसलमान तकरीबन 62 हजार।

राजगढ़-लक्ष्मणगढ़ विधानसभा क्षेत्र में मेव-मुसलमान है 20 हजार के लगभग।अलवर शहर विधानसभा क्षेत्र में भी 7 हजार के करीब मेव-मुसलमान है। केवल बहरोड़ में मेव-मुसलमान सबसे कम मात्र 1हजार ही है।

कामां विधानसभा में 1 लाख के करीब मेव मुसलमान है। नगर में 45 हजार मेव मुसलमान है। मेवात शिक्षा और विकास के नाम पर पिछड़ा। गो तस्करी और अपराध का स्तर यहां देखने को मिलता है। अशिक्षा यहां अपराध की जननी है।

बीजेपी अब इसे ही मुद्दा बना रही है। इसलिए बीजेपी के स्थानीय नेता कुछ भी कहे लेकिन शीर्ष नेताओं ने मॉब लिचिंग को सही नहीं ठहराया है। अब सवाल यह है कि क्या बीजेपी के विकास की बातों को मेव मानेंगे। यहां जो खाई गहराई हुई है उसे पाटना आसान नहीं है।

मोदी के दूत यहां प्रयास कर रहे है क्योंकि सवाल 1 राज्य का नहीं है। मेवात की गूंज राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र की सियासत पर भी असर डालती है। मेवात के सियासी तिलिस्म को भेदना बीजेपी के लिये कठिन डगर से कम नहीं है।