इस्लामी सज़ा का नफ़ा
इस्लाम ने ख़ाहिशात को जायज़ तरीक़ा से पूरा करने के लिए निकाह को बहुत आसान बनाया है। फिर ज़िना के मवाक़े को पर्दे का हुक्म दे कर और मख़लूत महफ़िलों से रोक कर बहुत मुश्किल बना दिया है। ऐसी सूरत में ज़िना का सुबूत मिलने की चंद सूरते हैं:
इस्लाम ने ख़ाहिशात को जायज़ तरीक़ा से पूरा करने के लिए निकाह को बहुत आसान बनाया है। फिर ज़िना के मवाक़े को पर्दे का हुक्म दे कर और मख़लूत महफ़िलों से रोक कर बहुत मुश्किल बना दिया है। ऐसी सूरत में ज़िना का सुबूत मिलने की चंद सूरते हैं:
अमीर उल मोमिनीन हज़रत सैय्यदना उमर फ़ारूक़ रज़ी० के ख़ादिम असलम बयान करते हैं कि एक दफ़ा सैय्यदना फ़ारूक़ ए आज़म रज़ी० ने अपने एक ग़ुलाम को एक सरकारी चरागाह का निगरान मुक़र्रर किया और इसे काम से मुताल्लिक़ हिदायात देते हुए फ़रमाया कि:
यज़ीदी लश्कर, असीरान-ए-कर्बला और सरहाए शोहदा को दमिश्क़ ले जाते हुए रात के वक़्त एक मंज़िल पर पहुंचा तो वहां एक बड़ा मज़बूत गिरजा घर नज़र आया। यज़ीदियों ने सोचा कि रात का वक़्त है, इस गिरजा घर में क़ियाम करना मुनासिब रहेगा।
तारीख़ शाहिद है कि रोय ज़मीन पर इस्लाम की तरह वसीअ उन-नज़र, अमन पसंद और बाहमी रवादारी का अलमबरदार कोई दूसरा मज़हब ज़ाहिर नहीं हुआ। वो ज़िंदगी के हर मोड़ और हर रास्ते पर प्यार-ओ-मुहब्बत और अफ़व-ओ-दरगुज़र की तालीम देता है, लेकिन इन दिन
मर्कज़ी हुकूमत की जानिब से तेलंगाना मसला पर 28 दिसमबर को तलब करदा कुलजमाअती इजलास के बारे में सियासी हलक़ों में अभी से मुख़्तलिफ़ क़ियास आराईयां की जा रही हैं। सियासी क़ाइदीन और मुबस्सिरीन की अक्सरीयत का ख़्याल है कि इस इजलास से
हुज़ूर रहमत ए आलम स०अ०व० का इरशाद है कि अगर तुम में से कोई बुराई देखे तो उसे चाहीए कि अपनी क़ुव्वत से इसका दिफ़ा (हिफाजत) करे।
एक सहाबी ने रसूल अल्लाह ( स०अ०व०) से पूछा कि अल्लाह तआला के नज़दीक अकबर-ऊल-कबाइर (यानी सब से बड़ा गुनाह) कौन सा है?। हुज़ूर करीम स०अ०व० ने फ़रमाया अल्लाह तआला के साथ किसी को शरीक बनाना। सहाबी रसूल ने फिर पूछा इसके बाद कौन सा गुनाह बड़ा है?।
मुहर्रम की दसवीं तारीख़ को हज़रत इमाम हुसैन रज़ी० ने अपने ख़ेमा के इर्दगिर्द ख़ंदक़ खुदवा दी थी और उसमें लकड़ियां डाल कर आग लगा दी गई थी, ताकि मुहतरम ख़वातीन शब ख़ून और दीगर हमलों से महफ़ूज़ रहें और दुश्मन ख़ेमा तक ना पहुंच सके।
फ़ैज़ाबाद, 06 दिसंबर (एजेंसी) उत्तर प्रदेश के ज़िला फ़ैज़ाबाद के अयोध्या टाउन में बाबरी मस्जिद की शहादत की 20 वीं सालाना याद के पेश नज़र सारे मुल्क बिलख़सूस उत्तर प्रदेश में इंतिहाई सख़्त तरीन सेक्योरिटी इंतेज़ामात किए गए हैं। अयोध्या मे
नई दिल्ली, 05 दिसंबर: बाबरी मस्जिद की तामीर 1527 में हुई और 1992 में शहीद कर दी गई। अयोध्या के रामकोट पहाड़ी पर बनी यह मस्जिद राम की जन्म भूमि के बतौर तनाजे में रही |
मैदान-ए-करबला में जब हज़रत इमाम हुसैन रज़ी० के अहबाब शहीद हो चुके और आपके भतीजे-ओ-भांजे भी जाम शहादत नोश फ़र्मा चुके तो हज़रत इमाम हुसैन रज़ी० के साहबज़ादे हज़रत क़ासिम रज़ी० मैदान में तशरीफ़ लाए। आपको देख कर यज़ीदी फ़ौज में खलबली मच गई।
तहज़ीब-ओ-सक़ाफ़्त के शहर हैदराबाद फ़र्ख़ंदा(मुबारक) बुनियाद में इन दिनों पेश आए वाक़ियात तमाम शहरयान हैदराबाद के लिए लम्हा-ए-फ़िक्र है।
दुनिया का सबसे ताकतवर मुल्क अमेरिका ने कभी चांद को भी न्यूक्लियर बम से उड़ाने का मंसूबा बनाया था। यह भले ही बड़ी अजीब सी बात लगे, लेकिन यह सच है। हालांकि इस इंतिहाई खुफीया मिशन को फौज के तरफ से एतराज़ जताए जाने के बाद वापस ले लिया गया थ
आशूरा-ए-मुहर्रम-उल-हराम की दस तारीख़ के दिन को कहा जाता है। आशूरा सिर्फ़ शहादत का ही दिन नहीं है बल्कि अल्लाह पाक ने जब कायनात को पैदा किया तो दिन दस मुहर्रम-उल-हराम का ही था, अल्लाह ने जब ज़मीन वा आसमान शजर व हजर को पैदा किया वो दिन दस म
एक बदवी ने हज़रत इमाम हुसैन रज़ी० से अर्ज़ किया कि मैंने आप के नानाजान हुज़ूर नबी करीम स०अ०व०से सुना है कि जब तुम किसी हाजत के खाहिंशगार हो तो चार शख्सों में से एक से दरख़ास्त करो।
नई दिल्ली, २२ नवंबर: (एजेंसी) 26 नवंबर, 2008, रात करीब 8 बजे का वक्त। हमेशा की तरह मुंबई में अच्छी खासी चहल पहल थी। दहशतगर्दो के नापाक इरादों से पूरी तरह बेखबर यह शहर अपनी ही तेज रफ्तार से आगे बढ़ रहा था।
अमेरीका चाहता है कि पाकिस्तान दहश्तगर्दी की लानत के ख़िलाफ़ लगातार जंग करे जो ना सिर्फ़ हिंदूस्तान और अमेरीका बल्कि ख़ुद पाकिस्तान केलिए ख़तरा है । अमेरीकी सफ़ीर बराए हिंदूस्तान नेन्सी जय पाउल ने आज जुनूबी एशियाई इलाक़ा से मुताल
सुबह के आते ही ख़त्म हो जाती है सुबह
तो कौन आएगा
और कौन आएगा
और कौन रंगेगा चादर के किनारों को
कौन मनाएगा उसकी उंगलियों के लम्स का जश्न
कौन मनाएगा सुबह की हैरानगी का जश्न
दीवार की सफ़ेदी पर चार कश्तियाँ
मुंबई, १६ नवंबर ( एजेंसी) माहिरीन(Expert)सेहत पपीता के बारे में हमेशा से सेहत अफ़्ज़ा-ए-ख़्यालात का इज़हार करते आए हैं जहां उसे इंतिहाई एहमीयत का हामिल फल क़रार दिया गया है । डायबीटीज के मरीज़ों के लिए भी इस फल के इस्तेमाल पर कोई पाबंदी नहीं ह