दुआ न मांगने पर अल्लाह की नाराज़गी
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया जो बन्दा अपने रब से सवाल नहीं करता और दुआ नहीं मांगता, हक तआला उस पर नाराज़ होता है। (तिरमिज़ी)
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया जो बन्दा अपने रब से सवाल नहीं करता और दुआ नहीं मांगता, हक तआला उस पर नाराज़ होता है। (तिरमिज़ी)
उम्मुल मुमेनीन हजरत आयशा सिद्दीका रज़ी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया रिश्तादारों पड़ोसियों और दूसरों से अच्छा सुलूक करने की वजह से बस्तियां आबाद होती हैं, उम्र में तरक्की और बरकत होती है । (अहमद)
हजरत अबू अमामा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के,रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, मेरे रब ने मुझ से वादा फरमाया है के, मेरी उम्मत की कसीर (जियादा) तादाद को किसी हिसाब व अज़ाब के बगैर जन्नत में दाखिल करेगा। (मिश्कात)
हजरत जाबिर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, देखो तुम में से किसी को मौत ना आए, मगर इस हालत में के वो अल्लाह से अच्छा गुमान रखता हो। (मुस्लिम)
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) फरमाया, तनहा सफ़र करने में जो खराबियां मुझे मालूम हैं, अगर लोगों को मालूम होजाए तो कभी कोई शख्स तनहा सफ़र न करें। (बुखारी शरीफ)
हजरत अनस रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है कि रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, अज़ान और अकामत के दरमियान दुआ रद नहीं होती बल्कि कुबूल ही होजाती है। किसी ने पूछा ऐसे मोके पर हम क्या दुआ करें ?
हजरत अस्मा रज़ी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, तुम खर्च करो और गिन गिन के जमा मत करो , वर्ना अल्लाह भी तुम्हें गिन गिन के देगा, और बंद करके न रख्खो वर्ना वो भी तुम पर अपनी रहमत के दरवाज़े बंद करदेगा। (बुखारी शरी
हजरत अस्मा रज़ी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, तुम खर्च करो और गिन गिन के जमा मत करो , वर्ना अल्लाह भी तुम्हें गिन गिन के देगा, और बंद करके न रख्खो वर्ना वो भी तुम पर अपनी रहमत के दरवाज़े तुम पर बंद करदेगा। (बुखा
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०)से किसी ने पुछा कौनसी कमाई अफज़ल है? फरमाया अपने हाथ से काम करना, या तिजारत करके कामना। (तिबरानी)
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, जो मकान के गिरने से दब कर मर जाए वो भी शहीद है। (मुस्लिम)
उम्मुल मूमिनीन हजरत आयशा सिद्दीका रज़ी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, क़ुरबानी के हर बाल पर एक नेकी मिलती है। (तिरमिज़ी)
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०)ने फरमाया, इदुल अज़हा के दिन सब से अच्छा खर्च ये है, के इंसान अपना माल कुर्बानी करने में खर्च करे। (तिबरानी)
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के,रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, तनहा सफ़र करने में जो खराबियां मुझे मालूम हैं अगर लोगों को मालूम होजाए तो कभी कोई शख्स तनहा सफ़र न करें। (बुखारी शरीफ)
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के,रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया, तनहा सफ़र करने में जो खराबियां मुझे मालूम हैं अगर लोगों को मालूम होजाए तो कभी कोई शख्स तनहा सफ़र न करें। (बुखारी शरीफ)
हजरत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, लोगों के आमाल हफ्ता मे दो मर्तबा पीर और जुमेरात को अल्लाह तआला के सामने पेश होते है। अल्लाह तआला सब मुसलमान बन्दों को बख्श देता है सिवाए उस के जिसकी कि
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) फरमाया,ज़िल्हिज्जा के दस दिन में नेक आमाल अल्लाह तआला को इतना पसंद है के, इन दस दिनों के बराबर,दुसरे दिनों का मर्तबा नहीं ।(बुखारी शरीफ)
हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है के, रसूल-ए-पाक (स०) ने फ़रमाया, रूए ज़मीन के तमाम पानियों से बेहतर ज़म ज़म का पानी है, इस पानी में भूके की गज़ा और बीमार की शिफा है। (इब्न हिबान)
खातून-ए-जन्नत हजरत सय्यदह फातिमा ज़हरा रज़ी अल्लाहु तआला अनहा से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०)ने फ़रमाया, अल्लाह तआला सुबह सादिक से लेकर तुलू-ए-आफताब तक अपने बन्दों को रिजक तकसीम करता है। (बेहकी)
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है, रसूल-ए-पाक (स०अ०व०)ने फ़रमाया, सफा व मरवा की सई(सफा व् मरवा नमी दोनों पहाड़ों के दरमियान ७ चक्कर ) करने का सवाब सत्तर गुलाम आज़ाद करने के बराबर है। (तिबरानी)
हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहु तआला अनहु से रिवायत है रसूल-ए-पाक(स०अ०व०)ने फ़रमाया, जो कंकरियां तुम मारते हो वो सब अल्लाह तआला के यहाँ जमा होजाती हैं। तुम उनको उस वक़्त पाओगे, जब तुम्हें उसकी सख्त ज़रुरत होगी। (तिबरानी)