हदीस शरीफ

हजरत जाबिर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फरमाया खाने कि रिकाबी साफ कर लिया कर उंगलियों को चाट लिया करो तुमहें किया मालूम के अल्लाह तआला ने खाने के किस हिस्से मे बरकत रख्खी है (मुस्लिम)

हदीस शरीफ

हजरत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फरमाया सलाम को आम करो खाना खिलाओ रिश्ता दारों से अच्छा सलूक करो और रातों में जब लोग सो रहें हों तुम नमाज़ें पढो तुम सलामती के साथ जन्नत में दाखिल

हदीस शरीफ

हजरत अबू अमामा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक(स०अ०व०) ने फरमाया जो इदुल फ़ित्र और इदुल अजहा की रात को जिंदा रखेगा और इबादत करेगा उसका दिल कयामत में जिंदा रहेगा (इब्न मजा)

हदीस शरीफ

हजरत सहल बिन साद रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक(स०अ०व०) ने फरमाया रोज़ा दार जन्नत में एक ख़ास दरवाज़े से दाखिल होंगे उस दरवाज़े का नाम रयान है(बुखारी शरीफ)

हदीस शरीफ

हजरत अमर बिन शोएब रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने एक शख्स को हुक्म दिया के जाकर मक्का मोकर्रमा के गली कुचों में एलान करदो के सदका फ़ित्र वाजिब है(तिरमिज़ी)

हदीस शरीफ

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया , जो शख्स अपने किसी भाई के काम में चले फिरे और कोशिश करे उसके लिए दस साल के इतिकाफ से अफज़ल है और जो शख्स एक दिन का भी एतिकाफ अल्लाह तआला

हदीस शरीफ

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया , एतिकाफ करने वाला गुनाहों से महफूज़ रहता है और उसके लिए नेकियाँ करने वाले के मसावी नेकियाँ लिखी जाती हैं। (इब्न माजा )

हदीस शरीफ

हज़रत अनस रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया
ऐ अल्लाह मुझ को मिस्कीन (गरीब) बना कर रख मिस्कीन(गरीबी) के हालात में उठा और मिस्कीनो के जुमरा (ग्रुप) में मेरा हश्र कर (तिरमिज़ी)

हदीस शरीफ

हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०)ने फ़रमाया जो शब-ए- क़दर में इमान के साथ और सवाब की नियत से इबादत के लिए खड़ा हो उसके तमाम पिछले गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं (बुखारी व् मुस्लिम)

हदीस शरीफ

हजरत अबू अमामा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फरमाया कुरान पढ़ा करो कियों के कुरान क़यामत के रोज़ अपने पढने वाले की शफाअत करे गा (मुस्लिम)

हदीस शरीफ

हज़रत अबू सईद खुदरी रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया एक सच्चा और अमानत दार ताजिर (बिजनसमैन)कियामत में अंबिया ,सिद्दिकों और शहीदों के साथ होगा
(तिरमिजी शरीफ)

हदीस शरीफ

रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने हजरत अली क्रमल्लाह वज्ह के बारे में फरमाया के तुम मुझ से हो और मैं तुम से हूँ (बुखारी शरीफ)

हदीस शरीफ

हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) के पास कोई कौम ज़कात लेकर आती तो हुज़ूर(स०अ०व०) इरशाद फरमाते ऐ अल्लाह उन पर रहमत नाजिल कर (मुस्लिम)

हदीस शरीफ

हजरत सोहैब रूमी रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फरमाया, मोमिन की शान अजीब है उसके तमाम कम नेकी हैं और ये शान सिर्फ मोमिन के लिए ख़ास है उसे ख़ुशी हासिल होती है तो वो अल्लाह का शुक्र अदा करता है और ये शुक्र

हदीस शरीफ

हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फरमाया अल्लाह तआला ने ज़कात फ़र्ज़ की है जो माल दारों ली जाएगी और गुरबा में तकसीम की जाएगी (मुस्लिम)

हदीस शरीफ

हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०)ने फ़रमाया जो बंदा पांच वक़्त की नमाज़ पढता है , रमजान के रोज़े रखता है , ज़कात अदा करता है ,कबीरा (बड़े ) गुनाहों से बचता है तो उस बंद के लिए जन्नत के दरवाज़े खोल द

हदीस शरीफ

हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०)ने फ़रमाया जो बंदा अफ्तार में जल्दी करता है वो अल्लाह को बहुत महबूब है (तिरमिज़ी)

हदीस शरीफ

हज़रत सलमान बिन आमिर रज़ी अल्लोह तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया खजूर से रोज़ा खोला करो के इस में बरकत है अगर खजूर मोयस्सर(available) न हो तो पानी से अफ्तार करो कियों के वो तहूर है (अबू दाऊद)

हदीस शरीफ

हजरत सलमान फारसी रज़ी अल्लाहो तआला अनहो से रिवायत है के रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फरमाया रोज़ा दार को कयामत में मेरे हौज़ से पानी पिलाया जाए गा फिर उसको जन्नत में दाखिल होने तक पियास न लगे गी। (इब्न खजीमा)

हदीस शरीफ

हज़रत अबू हुरैरा रज़ी अल्लाह तआला अनहो से रिवायत है रसूल-ए-पाक (स०अ०व०) ने फ़रमाया अफ्तार के वक़्त रोजादार जो दुआ मांगे उसकी दुआ कोबूल करली जाती है रद्द नहीं की जाती (तिरमिज़ी)