आसाम रीलीफ़ कैंपस में 2 लाख अफ़राद(लोग‌) मौजूद

बेबसी की ज़िंदगी गुज़ारने पर मजबूर,ख़ौफ़ की वजह वापसी के लिए तैयार नहीं

इमारत शरिया बिहार, उड़ीसा और झारखंड फलवारी शरीफ पटना के पांचवें रिलीफ टीम दो महीनों से आसाम धीरे जिले के लगातार दौरे पर है. इस टीम में मौलाना क़मर वर्ष कासमी मौलाना नूर आलम रहमान, मौलाना अख्तर हुसैन सौर, मौलाना अबदुस्समद कासमी म्बलगीन इमारत शरिया हैं. टीम के सदस्यों ने 29 सितम्बर की सुबह से देर रात तक कूकर झार, चराँग, बकसा यह सब पीड़ितों जो अपने समुदायों से अपनी जान बचाकर निकले थे.

मंडल ने से मुलाकात की और उनके दुखद स्थिति को सुना. इसके बाद धीरे जिले रानी गंज में HS स्कूल ME मदरसा, JB स्कूल, ्षाफगठनह मदरसा, सुनाल गोरी, LP स्कूल, सुनाल गोरी ME, मदरसा के बहुत गज़ें शिविर में हजारों परिवारों के बीच कीमती साड़ियां , मछरदानी, बच्चों के कपड़े, शर्ट और कंबल आदि वितरित किए गए. ज्यादा कैम्पों का मुआइना किया गया.

तमाम कैम्पों के पनाह गज़ीनों के सदस्यों से कम्बल, बच्चों के कपड़े की मांग की. गौरतलब बात यह है कि आसाम सरकार का यह दावा कि बहुत गज़ें निडर और कांटों से भरा अपनी बस्तियों को वापस हो रहे हैं और उन्हें सुरक्षा दिया जा रहा है, निराधार है. अभी भी तक़रीबन 2 लाख लोग मुख़्तलिफ़ कैम्पों में बेबसी की ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं।

बोडो के ख़ौफ़ से अपने उजड़े हुए देर में जाने को तैय्यार नहीं हैं। इन से हिंदूस्तानी शहरी का सबूत मांगा जा रहा है। मौलाना क़मर अनीस क़ासिमी ने हिंदूस्तान की तमाम मुस्लिम तंज़ीमों अपील की है कि एक साथ बैठ कर इस मसला का मुस्तक़िल हल तलाश करें और मर्कज़ी-ओ-रियास्ती हुकूमतों पर दबाव‌ डाल कर आसाम मुतास्सिरीन के मसाइल की तरफ़ तवज्जु दिलाई जाय।

मौलाना क़ासिमी ने बड़े अफ़सोस के साथ कहा कि ऐसा मुल्क जो गंगा जमुनी तहज़ीब की शनाख़्त रखता हो, वहां मुस्लमान अपनी आबादीयों से बेघर और बे सर-ओ-सामान होजाएं, निहायत ही अफ़सोस की बात है। आसाम में बोडो क़बीला और बंगाली दां मुस्लिम अवाम के दरमियान नसली फ़सादाद के नतीजे में ये अफ़राद दो माह क़बल बेघर होगए थे। मर्कज़ के तीक़न के बावजूद वो हनूज़ अपनी क़ियाम गाहों को वापिस नहीं होसके।.