फलस्तीन के साथ धोखा कर अमेरिका ने मुस्लिम वर्ल्ड से दुश्मनी मोल ली है- एर्दोगन

तुर्की ने फ़िलिस्तनी लिबरेशन आर्गनाइज़ेशन के कूटनयिक मिशन को बंद करने के अमरीकी फ़ैसले को ख़तरे की घंटी बताते हुए कहा है कि अब यह साफ़ हो गया है कि शांति प्रक्रिया के मामले में अमरीका निष्पक्ष नहीं है।

तुर्की के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता हामी एकसूए ने कहा कि यह फ़ैसला परेशान करने वाला है और यह इस बात का संकेत है कि मध्यपूर्व में शांति की स्थापना में अमरीका निष्पक्ष नहीं है। प्रवक्ता ने कहा कि अमरीका की यह घोषणा केवल उन लोगों को पसंद आएगी जो टू स्टेट समाधान के विरोधी हैं।

ज्ञात रहे कि अमरीका के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नूरेट ने एक बयान में कहा है कि हमने पीएलओ को इस्राईल और फ़िलिस्तीन के बीच स्थायी शांति की स्थापना के उद्देश्य से अपना काम जारी रखने की अनुमति दी थी।

अमरीकी प्रशासन ने अपने बयान में आरोप लगाया है कि पीएलओ ने इस्राईल के साथ सार्थक और प्रत्यक्ष वार्ता को आगे बढ़ाने के लिए कोई क़दम नहीं उठाया।

दूसरी ओर पीएलओ के अधिकारियों का कहना है कि वाइट हाउस की ओर से इस्राईल से वार्ता पर तैयार करने के लिए हमें ब्लैकमेल किया जा रहा है।

सच्चाई यह है कि अमरीका इस समय फ़िलिस्तीनियों पर डील आफ़ सेंचुरी थोपने के प्रयास में है। यह एसा समझौता है जिसमें फ़िलिस्तीनियों के अधिकारों की खुलकर उपेक्षा की गई है और बैतुल मुक़द्दस को इस्राईल के हवाले कर दिए जाने की बात कही गई है। फ़िलिस्तीन के नेताओं के लिए एसे किसी भी समझौते को मान लेना असंभव है।

अमरीका के साथ ही सऊदी अरब के वर्तमान नरेश सलमान तथा उनके उत्तराधिकारी मुहम्मद बिन सलमान भी फिलिस्तीनियों पर दबाव डाल रहे हैं कि वह अमरीका की ओर से पेश किए जाने वाले समझौते को मान लें।

फ़िलिस्तीन वैसे तो दशकों से इस्राईल तथा उसके समर्थकों के अत्याचार का निशाना बन रहा है लेकिन अब सभी संगठनों की समझ में यह बात आ चुकी है कि प्रतिरोध से इस्राईल और अमरीका के षडयंत्र को विफल बनाया जा सकता है क्योंकि इस समय इस्राईल बुरी तरह विरोधियों के बीच घिर गया है और अमरीका उसकी मदद कर पाने में सक्षम नहीं है।