भारत के शैक्षिक संस्थानों को विश्व स्तर का बनाने की जरूरत

नई दिल्ली: यह इशारा करते हुए कि देश में आईआईटी और एनआईटी जैसे तकनीकी संस्थान स्थापित होने के बावजूद हमारी शिक्षा प्रणाली में जबरदस्त गिरावट पाया जाता है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा है कि जो छात्र विदेश में पढ़ाई कर रहे हैं उन्हें अपने वतन वापस लाने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि जहां तक कैंपस की बात है हमारे आईआईटी और एन आई टीज़ प्रदर्शन शानदार और सराहनीय है और देश भर में 732 विश्वविद्यालयों और 36,000 कॉलेजस मौजूद है व्यापक बुनियादी सुविधाओं के बावजूद हमारे शैक्षिक गुणवत्ता में भारी गिरावट पाया जाता है।

राष्ट्रपति आज राष्ट्रपति भवन में नेशनल टीचर्स अवार्ड्स समारोह को सम्बोधित करते हुए जिसमें 364 शिक्षकों को पुरस्कार प्रदान किए गए। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता की शिक्षा के बिना ज्ञान समाज का निर्माण नहीं किया जा सकता और ज्ञान समाज के बिना समाज में मसषकह स्थान प्राप्त नहीं किया जा सकता। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि छटवें सदी पूर्व से 12 वीं सदी तक टैक्सिला के स्वर्ण युग से नालंदा के पतन तक भारत उच्च शिक्षा का केंद्र था।

भारतीय विश्वविद्यालयों ने दुनिया भर से शिक्षकों और छात्रों के रूप में बुद्धिमान और फटियन लोगों को आकर्षित किया था। लेकिन आज हालात विपरीत हो गए हैं और हर साल 60 हजार छात्र ऑक्सफोर्ड, कैम्ब्रिज और एमआईटी आदि उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए देश से जा रहे हैं। अगर यह छात्र स्नातक होने के बाद भारत वापस आ जाएंगे तो न केवल हमारे विश्वविद्यालयों की शिक्षा का स्तर बेहतर होगा बल्कि प्राथमिक स्तर पर शिक्षा को बढ़ावा मिलेगा।

पुरस्कार विजेता शिक्षकों को बधाई देते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि षतानवी शिक्षा ही उच्च शिक्षा का शिलान्यास होती है और सामाजिक दायित्वों के शुरू में शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। इस अवसर पर केंद्रीय मंत्री मानव संसाधन श्री प्रकाश जावडेकर ने कहा कि देश भर में 27 करोड़ छात्रों ने अपना नाम दर्ज किया है लेकिन गुणवत्ता शिक्षा सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। क्योंकि शिक्षकों के लाखों संपत्तियां मख़लवा हैं जिस पर चीफ मिनिस्टर्स को ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने बताया कि गुणवत्ता शिक्षा में सुधार के लिए अगले 3 साल में 5 लाख शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की योजना है। इसके अलावा राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज कहा है कि दुनिया बहुत जल्द देखेगी कि भारत आतंकवाद से मुक्त हो जाएगा क्योंकि यहां की जनता अनेकता में एकता पर यक़ीन रखते हैं और भारत विविध समाज के समृद्ध है। दिन शिक्षकों के अवसर पर बतौर शिक्षक, छात्रों को शिक्षा देते हुए उन्होंने कहा कि भारत और पड़ोसी देश में राजनीतिक चरित्र हनन की प्रवृत्ति फरि पा रहा है इसके बावजूद हमारा राजनीतिक प्रणाली मजबूत और स्थिर है। उन्होंने कहा कि धर्मनिरपेक्षता, भारतीयों के जीवन का हिस्सा बन गया है।

भारत आतंकवाद सहित सीमा पार के आतंकवाद की समस्या से ग्रस्त है लेकिन भारतीय नीति और प्रशासन की प्रभेद की बदौलत अंतर्देशीय आतंकवाद का खात्मा हो जायेगा हमें सीमा पार आतंकवाद का निशाना बनाया जा रहा है लेकिन यह अंतर्देशीय तत्वों की कारस्तानी नहीं है क्योंकि हमारे देश की रंगीन संस्कृति और सभ्यता रहन-सहन ने आतंकवाद को पनपने की अनुमति नहीं दी है और यह विशेषता केवल भारतीयों को प्राप्त है।