मध्य प्रदेश : बीजेपी की इकलौती मुस्लिम उम्मीदवार और धीमे होते श्रीराम के नारे

भोपाल उत्तर की इस मुस्लिम बहुल सीट पर मुस्लिम महिला उम्मीदवार को उतारकर बीजेपी सियासी प्रयोग कर रही है। अगर यह प्रयोग सफल रहा तो 2019 में मुस्लिम बहुल सीटों पर इसे दोहराया जा सकता है। यही वजह है कि यह सीट और इस सीट से चुनाव लड़ रहीं बीजेपी प्रत्याशी फातिमा रसूल सिद्दीकी दोनों ही चर्चा में हैं। फातिमा इसलिए भी चर्चा में हैं कि वह बीजेपी की तरफ से सूबे में अकेली मुस्लिम महिला प्रत्याशी हैं।

मध्य प्रदेश में भी बीजेपी के पास कोई जिताऊ मुस्लिम उम्मीदवार नहीं था. ठीक वैसे ही जैसे 2017 के यूपी चुनाव में बीजेपी को इस संकट से जूझना पड़ा था. खुद बीजेपी नेताओं ने ही पूछे जाने पर ये बात बतायी थी. एमपी में बीजेपी ने यूपी वाला किस्सा नहीं दोहराया है. ये भी बीजेपी की एक मजबूरी ही लगती है. कुछ कुछ वैसी ही मजबूरी जैसी यूपी में चुनाव जीतने के बाद एक मुस्लिम को मंत्री बनाने की हुई थी.

फातिमा रसूल मध्य प्रदेश में बीजेपी की इकलौती मुस्लिम उम्मीदवार हैं. कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव में तीन मुस्लिम कैंडिडेट उतारे हैं जिनमें से एक आरिफ अकील भी हैं जिनके खिलाफ बीजेपी की ओर से फातिमा चैलेंज कर रही होंगी. आरिफ अकील 2013 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल करने वाले इकलौते मुस्लिम विधायक थे. तब चुनाव मैदान में 6 मुस्लिम उम्मीदवार थे जिनमें से एक बीजेपी उम्मीदवार आरिफ बेग भी थे.

1984 के भोपाल गैस कांड के बाद आरिफ अकील ने लोगों की खूब मदद की और इलाके के लोगों पर उनकी पकड़ मजबूत होती चली गयी. कुछ दिन बाद यूनियन कार्बाइड फैक्ट्री से कुछ ही दूरी पर उन्होंने आरिफ नगर डेवलप किया – और गैस त्रासदी से पीड़ित परिवारों को वहां बसाया भी.

आरिफ अकील का मजबूत पक्ष तो यही है कि वो अपने काम के बूते जीतते आये हैं और बरसों से उनके नाम का सिक्का चलता है. तीन बार से तो मध्य प्रदेश विधानसभा में वो अकेले मुस्लिम विधायक बने हुए हैं. लेकिन एक सच ये भी है कि अब वो बुजुर्ग हो चले हैं. बीजेपी को लगता है एक बुजुर्ग के खिलाफ युवा जोश उतार कर सियासी जुआ तो खेला ही जा सकता है.

जिस सीट पर फातिमा किस्मत आजमाने जा रही हैं वहीं से उनके पिता 90 के दशक में दो बार कांग्रेस के विधायक रह चुके हैं. 20 साल पहले रसूल सिद्दीकी के इंतकाल के बाद उनकी पत्नी ने उसी सीट से कांग्रेस का टिकट पाने की काफी कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिली. उनकी बेटी फातिमा ने देखा कि कांग्रेस में उनकी दाल नहीं गलने वाली तो उन्होंने बीजेपी की ओर हाथ बढ़ाया. बीजेपी ने भी फातिमा को हाथों हाथ लिया. दोपहर में फातिमा ने बीजेपी ज्वाइन किया और देर शाम होते होते बीजेपी की सात उम्मीदवारों वाली आखिरी सूची में उनका भी नाम शामिल हो गया. वैसे फातिमा को टिकट दिये जाने से कुछ स्थानीय दावेदार खासे नाराज भी हैं. उन्‍हें लग रहा है कि पार्टी हाईकमान को पार्टी के भीतर क्‍या एक भी मुस्लिम कैंडिडेट दिखाई नहीं दिया?

भोपाल उत्तर सीट से आरिफ अकील एक तरह से अजेय बन चुके हैं. ऐसा लगता है बीजेपी मान कर चल रही होगी कि जो भी आरिफ अकील के खिलाफ चुनाव लड़ेगा हार तय है. फिर सोचा होगा क्यों न जुआ ऐसे खेला जाये, जिसमें जीत की संभावना दिखे, और यदि हार जाएं तो मुस्लिम महिला की रहनुमाई की तारीफ मिले.

एक दृश्य में शाम के 7 बजे हैं। पुराने भोपाल के पीरगेट इलाके में दो-तीन दर्जन लोग खड़े हैं। भोपाल उत्तर की इस सीट पर बीजेपी के चुनावी कार्यालय का उदघाटन होना है। तभी वहाँ गहमागहमी बढ़ती है। सूचना आती है की सीएम शिवराज सिंह चौहान आ रहे हैं। चुनाव में एक उम्मीदवार के चुनावी कार्यालय में सीएम का आना ही इस सीट की अहमियत बता रहा था। सीएम आते हैं। जोरदार नारे लगते हैं। भारत माता की जय और कार्यालय का उदघाटन होता है। वहाँ कुछ लोग जय श्रीराम का नारा भी लगाते हैं, लेकिन वहाँ खड़े एक नेता चुपचाप रोकते हैं। फिर वही लोग ‘अबकी बार 200 पार’ का नारा लगाने लगते हैं। और फिर सीएम अभिवादन स्वीकार चले जाते हैं।