लखनऊ के मनीषा मंदिर के बाल संरक्षण गृह में हो रहा था उत्पीड़न, 14 बच्चियां मुक्त कराई

लगभग 15 दिन पहले बाल संरक्षण टीम ने इस बाल संरक्षण गृह में  जांच की थी और बच्चों से बात की थी तो पता चला कि बच्चों को तमाम प्रकार की यातनाएं दी जाती थी. बच्चों से साफ-सफाई, झाड़ू-पोछा और घास उखड़वाने का कार्य कराया जा रहा था. इसके बाद टीम आज 15 दिन बाद अपने साथ सीडब्ल्यूसी कोर्ट का आदेश लेकर आई और बाल संरक्षण गृह में रह रही 14 नाबालिग बच्चियों को मुक्त कराकर अपने साथ ले गई.
लगभग 15 दिन पहले बाल संरक्षण टीम ने इस बाल संरक्षण गृह में  जांच की थी और बच्चों से बात की थी तो पता चला कि बच्चों को तमाम प्रकार की यातनाएं दी जाती थी. बच्चों से साफ-सफाई, झाड़ू-पोछा और घास उखड़वाने का कार्य कराया जा रहा था. इसके बाद टीम आज 15 दिन बाद अपने साथ सीडब्ल्यूसी कोर्ट का आदेश लेकर आई और बाल संरक्षण गृह में रह रही 14 नाबालिग बच्चियों को मुक्त कराकर अपने साथ ले गई.
वहीं पूरे मामले में संरक्षण अधीक्षिका आसमा जुबेर ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली थी कि बच्चियों के साथ मारपीट भी की जाती है. जिस कमरे में बच्चियों को रखा जाता है वह काफी छोटा है और गंदा भी है और जो यहां की अधीक्षिका है वह बच्चियों की देखभाल नहीं करती. इसकी वजह से बाल संरक्षण इकाई ने आज कार्रवाई करते हुए 14 लड़कियों को मनीषा मंदिर के बाल गृह से मुक्त कराया.

बाल संरक्षण गृह से मुक्त हुई बच्चियों ने बताया कि हम बच्चों को काफी परेशान किया जाता था. खाना नहीं मिलता था झाड़ू पोछा करवाया जाता था बर्तन भी धूलवाए जाते थे और भी कई तरह के काम करवाए जाते थे.

वहीं पूरे मामले में संरक्षण अधीक्षिका आसमा जुबेर ने बताया कि उन्हें शिकायत मिली थी कि बच्चियों के साथ मारपीट भी की जाती है. जिस कमरे में बच्चियों को रखा जाता है वह काफी छोटा है और गंदा भी है और जो यहां की अधीक्षिका है वह बच्चियों की देखभाल नहीं करती. इसकी वजह से बाल संरक्षण इकाई ने आज कार्रवाई करते हुए 14 लड़कियों को मनीषा मंदिर के बाल गृह से मुक्त कराया.

बाल संरक्षण गृह से मुक्त हुई बच्चियों ने बताया कि हम बच्चों को काफी परेशान किया जाता था. खाना नहीं मिलता था झाड़ू पोछा करवाया जाता था बर्तन भी धूलवाए जाते थे और भी कई तरह के काम करवाए जाते थे.