सीबीआई DIG का आरोप- जांच में डोभाल ने दखल दिया, करोड़ों की घुस केंद्रीय मंत्री ने लिया

सीबीआई के नंबर-2 अफसर राकेश अस्थाना के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच कर रहे डीआईजी मनीष कुमार सिन्हा ने उनका तबादला नागपुर किए जाने को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।सिन्हा ने अपनी याचिका में सीबीआई में सरकार के दखल के आरोप लगाए हैं। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उनकी याचिका पर तुरंत सुनवाई करने से इनकार कर दिया। सिन्हा का आरोप है कि अस्थाना के खिलाफ जांच के दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दो मौकों पर तलाशी अभियान रोकने के निर्देश दिए थे। वहीं, एक बिचौलिए ने पूछताछ में बताया था कि गुजरात से सांसद एक केंद्रीय मंत्री को करोड़ों रुपए की रिश्वत दी गई थी।

सिन्हा ने अदालत से तुरंत सुनवाई की मांग करते हुए कहा मेरे पास ऐसे दस्तावेज हैं, जो आपको चौंका देंगे। अदालत ने तुरंत सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि हमें कोई चीज चौंका नहीं सकती।

24 अक्टूबर को हुआ था सिन्हा का तबादला :

सिन्हा आईपीएस अफसर हैं। उन्हें 2005 में पुलिस वीरता मेडल मिला था। वे अभी नागपुर में सीबीआई की एंटी करप्शन ब्रांच के डीआईजी हैं। अस्थाना के खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच उन्हीं की निगरानी में हो रही थी। लेकिन 24 अक्टूबर को उनका नागपुर तबादला कर दिया गया था।

सिन्हा ने अपनी याचिका में क्या आरोप लगाए:

‘लाइव लॉ’ पोर्टल और अखबार इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, वकील सुनील फर्नांडीज के जरिए दाखिल याचिका में सिन्हा ने आरोप लगाए कि उनका तबादला इसलिए किया गया क्योंकि उनके द्वारा की जा रही जांच में कुछ ताकतवर लोगों के खिलाफ सबूत सामने आए थे।

‘‘अस्थाना के खिलाफ शिकायत करने वाले सतीश सना से पूछताछ के दौरान कई प्रभावशाली लोगों की भूमिका के बारे में पता चला था।’’

सना आंध्र प्रदेश का कारोबारी है जिस पर मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ जांच कर रहे सीबीआई के नंबर-2 अफसर राकेश अस्थाना को तीन करोड़ रुपए की घूस देने का आरोप है।

सिन्हा की याचिका के मुताबिक, ‘‘सना ने पूछताछ में दावा किया कि सीबीअाई जांच में दखल देने के लिए जून के पहले पखवाड़े में मोदी सरकार के एक राज्य मंत्री को कुछ करोड़ रुपए की रिश्वत दी गई थी।’’

सिन्हा का दावा है कि 20 अक्टूबर की दोपहर वे सीबीआई के डिप्टी एसपी देवेंद्र कुमार के ऑफिस और घर की तलाशी ले रहे थे। उस वक्त उनके पास सीबीआई निदेशक का फोन आया। सीबीआई निदेशक ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निर्देश पर तलाशी रोकने को कहा।
‘‘इससे पहले, 15 अक्टूबर को अस्थाना के खिलाफ रिश्वतखोरी के आरोपों पर एफआईआर दर्ज की गई थी। 17 अक्टूबर को सीबीआई चीफ आलोक वर्मा ने एनएसए को इस बारे में बताया।’’
‘‘उसी रात को एनएसए ने अस्थाना से बात की। अस्थाना ने कथित तौर पर एनएसए से गुजारिश की कि उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जाए।’’
‘‘जब इस मामले में जांच अधिकारी एके बस्सी अस्थाना का मोबाइल फोन जब्त करना और तलाशी लेना चाहते थे तो सीबीआई चीफ ने उन्हें इसकी तुरंत अनुमति यह कहकर नहीं दी कि एनएसए ने अभी इसकी इजाजत नहीं दी है।’’