अंग्रेज़ी हुकूमत की ज़रूरतें पूरा करने वाले क़ानून में बदलाव होने चाहिए: राष्ट्रपति

कोच्चि. देशद्रोह संबंधी कानून को लेकर चल रही चर्चा के बीच राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि भारतीय दंड संहिता में बदलाव की ज़ुरूरत है. आईपीसी की 155वीं वषर्गांठ के मौक़े पर आयोजित एक प्रोग्राम में उन्होंने कहा कि कि पिछले 155 सालों में आईपीसी में बहुत कम बदलाव हुए हैं. अपराधों की प्रारंभिक सूची में बहुत कम अपराधों को जोड़ा गया और उन्हें दंडनीय बनाया गया है.

प्रणब मुखर्जी ने कहा कि अभी भी कुछ ऐसे अपराध हैं जिनको नहीं होना चाहिए, ये अपराध ब्रिटिश औपनिवेशिक ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बनाए गए थे.
जेएनयू मुद्दे को लेकर हुई बहस में दुनिया भर के अखबारों में छपे लेखों में सवाल किये गए हैं कि आख़िर ये क़ानून जिसका इस्तेमाल ब्रिटिश भारतीयों पर दमन के लिए करते थे,ख़त्म क्यूँ नहीं कर दिया जाता.