रांची : अक्लियत बोह्बुद रियासत वजीर मुख्तार अब्बास नकवी न कहा की यहाँ के अक्लियतों का डीएनए भी हिन्दुस्तानी है. मुस्लिम, क्रिस्चन , सिख, जैन , बौद्ध, पारसियों की रगों में मुल्क का खून है, यहाँ की ज़मीन की महक है. उन्हें कोई बाहर नहीं निकाल सकता। बीजेपी का एक ही मज़हब कौमी मज़हब और एक ही अहद कौमी की तामीर है. वह दिन मुल्क के लिए सुकून का दिन होगा, जिस दिन कोई हिन्दू मुस्लिम इलाके में या मुस्लिम या कोई दीगर मज़हब किसी दुसरे मज़हब इलाके में रहने में बेख़ौफ़ महसूस करे. वह झारखण्ड में अक्लियतों की मासायल के खात्मे के मौजू पर मुश्तरका मंच झारखण्ड की तरफ से Xiss में मुनाक्किद गौर व खौस में बोल रहे थे. उन्होंने कहा की अक्लियतों में खौफ के माहौल के लिए सिआसत ही जिम्मेवार है.
इस मौके पर आल चार्जेज कमेटी , अंजुमन इस्लामिया व दीगर अदारों ने अक्लियतों की मसायल सामने रखी. अंजुमन इस्लामिया ने मदरसा इस्लामिया व मौलाना आज़ाद कॉलेज के लिए ज़मीन, रांची में मौलाना आज़ाद फौंडेशन एंड रिसर्च सेंटर फॉर नेशनल इंटीग्रेशन का कयाम, उर्दू अकादमी की तशकील, वक्फ बोर्ड की दुबारा तशकील, वक्फ ट्रिब्यूनल की कयाम, मौलाना आज़ाद फौंडेशन स्कोलरशिप का कोटा बढ़ने, खाली उर्दू असातिजा ओहदे पर बहाली, हज हाउस का दुबारा तामीर जल्द कराने की मुतालिबात की.