रुक्ने असेंबली चंदरायनगुट्टा अकबर ओवैसी पर हमले के केस के मुतवाज़ी इसी हमले में इबराहीम याफ़ई के क़तल के सिलसिले में जो मुक़द्दमा दर्ज कियागया था , उसको पुलिस ने बंद कर दिया है और 23 जुलाई को क़तई रिपोर्ट अदालत में दाख़िल किए जाने का इमकान है।
पुलिस की क़तई रिपोर्ट में अकबर ओवैसी और उनके साथीयों की बरात की इत्तेलाआत के साथ ही मुक़ामी अवाम में चह मीगीवईआं शुरू होगईं कि पुलिस ने सयासी दबाव के आगे झुक कर क़ातिलों को क्लीनचिट दे दी है जबकि इबराहीम याफ़ई का क़तल एक जुर्म है।
याद रहे कि अकबर ओवैसी पर 30 अप्रैल 2011को हमले के सिलसिले में इक़दाम-ए-क़तल का एक मुक़द्दमा दर्ज किया गया था ताहम मुतवाज़ी तौर पर इबराहीम याफ़ई के क़तल का मुक़द्दमा दर्ज नहीं किया गया था जिस पर मक़्तूल इबराहीम याफ़ई के भाई ऊद बिन यूनुस याफ़ई ने 4 सितंबर 2012 को कमिशनर पुलिस हैदराबाद , डिप्टी कमिशनर पुलिस सावथ ज़ोन और चंदरायनगुट्टा पुलिस से एक शिकायत दर्ज करवाई थी जिस में उन्होंने अकबर ओवैसी , रुक्ने असेंबली मलकपेट अहमद बलाला , गनमैन जानी मियां , कारपोरीटर मंसूर ओलक़ी पर उनके भाई के क़तल का इल्ज़ाम आइद किया था, ऊद याफ़ई ने अपनी दरख़ास्त में ये इल्ज़ाम लागया था कि उनके भाई को गोली मारकर क़तल किया गया और रुक्ने असेंबली चंदरायनगुट्टा ,क़तल के वक़्त हाथ में पिस्तौल थामे हुए थे, लेकिन पुलिस इस दरख़ास्त पर कार्रवाई करने से गुरेज़ करती रही जिस के नतीजे में ऊद याफ़ई आंध्र प्रदेश हाइकोर्ट से रुजू हुए थे और अदालत ने 26 नवंबर 2012 को चंदरायन गुट्टा पुलिस को हिदायत दी थी कि इबराहीम बिन यूनुस याफ़ई के क़तल की तहक़ीक़ात मुकम्मल करके अंदरून तीन माह रिपोर्ट दाख़िल करे।
चंदरायनगुट्टा पुलिस ने इबराहीम याफ़ई क़तल केस के सिलसिले मेंक़तल और मुजरिमाना साज़िश का एक मुक़द्दमा जिस का एफ़ आई आर नंबर 313/2012 है, दो मजलिसी अरकान ए असेंबली , गनमैन और मजलिसी कारपोरीटर के ख़िलाफ़ दर्ज किया था।
चंदरायनगुट्टा पुलिस ने दरख़ास्त गुज़ार और मक़्तूल के भाई ऊद बिन यूनुस याफ़ई और दुसरे अरकान ख़ानदान जो इस केस में गवाह हैं और चैरलापली जेल में महरूस हैं ,का बयान कलमबंद किया था।
मुताल्लिक़ा पुलिस ने इबराहीम याफ़ई क़तल केस के गवाहों का बयान सी आर पी सी की दफ़ा 164 (मजिस्ट्रेट के रूबरू बयान कलमबंद कराना)के तहत बयान कलमबंद करवाने अदालत में एक दरख़ास्त दाख़िल की थी जिस पर नामपली क्रिमिनल कोर्ट ने मुहम्मद बिन उम्र याफ़ई उल-मारूफ़ मुहम्मद पहलवान , हुस्न बिन उम्र याफ़ई , ऊद बिन यूनुस याफ़ई , अबदुल्लाह बिन यूनुस याफ़ई और इसा याफ़ई को नोटिस जारी की थी और अदालत में बयान कलमबंद करवाने की हिदायत दी थी, लेकिन मज़कूरा गवाह जो इबराहीम याफ़ई क़तल के बाद सकता में हैं , अपना बयान कलमबंद कराने के काबिल ना थे और वक़्त तलब किया था। पुलिस ने गवाहों के बयानात कलमबंद ना किए जाने के बावजूद इस केस को बंद करने का फ़ैसला करलिया और महिज़ शवाहिद के फ़ुक़दान का बहाना बनाते हुए क़तल का मुक़द्दमा ख़त्म कर दिया है। इस रिपोर्ट की क़तईयत से चंद दिन पहले अकबर ओवैसी के डिप्टी चीफ़ मिनिस्टर दामोदर राज नरसिम्हा से मुलाक़ात के बाइस मुक़ामी अवाम ने शुबहात का इज़हार किया हैके पुलिस पर सयासी दबाव डाला गया। इस मुलाक़ात के बाद पुलिस ने अपनी रिपोर्ट को क़तईयत देते हुए रुक्ने असेंबली को फ़ायदा पहुंचाया है।
मुक़ामी अवाम ने इस ख़सूस में पुलिस पर रिश्वत की असास पर रिपोर्ट तैयार करने का इल्ज़ाम भी आइद किया। इन्सपेक्टर चंदरायन गुट्टा पुलिस स्टेशन ए श्रीनिवास राव जो इबराहीम याफ़ई क़तल केस के तहक़ीक़ाती ओहदेदार भी हैं , ने बताया कि इस केस में शवाहिद का फ़ुक़दान है और मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ जुर्म साबित नहीं होता जिस के नतीजे में मुक़द्दमा बंद कर दिया गया है और अदालत में क़तई रिपोर्ट दाख़िल करदी जाएगी