अक़लीयती इदारों की मुजरिमाना ग़फ़लत

हैदराबाद 27 मार्च: रियासत में अक़लीयतों और कमज़ोर तबक़ात के लिए हुकूमत की तरफ से फ़ीस बाज़ अदायगी और स्कालरशिप के बजट मुख़तस किए जाते हैं।

अफ़सोस तो इस बात पर है कि एससी, एसटी और बी सी तबक़ात के स्कालरशिप और फ़ीस बाज़ अदायगी से मुताल्लिक़ मह्कमाजात इन सकीमात की रक़ूमात को ख़र्च करने में मुस्तइद्दी का मुज़ाहरा करते हैं जबके अक़लीयती तलबा के लिए मुख़तस की गई रक़ूमात का एक बड़ा हिस्सा ओहदेदारों की अदम दिलचस्पी के बाइस मालीयाती साल के इखतेताम पर सरकारी ख़ज़ाने में वापिस होजाता है।

मालीयाती साल 2012 ‍-13 में भी कुछ यही हुआ। अगरचे इस साल अक़लीयती बहबूद कामजमूई बजट 488 करोड़ था लेकिन फ़ीस बाज़ अदायगी और स्कालरशिप का 149 करोड़ बजट ओहदेदारों की लापरवाही के सबब सरकारी ख़ज़ाnee में वापिस होगया।

उस की अहम वजह ये है कि ओहदेदार वक़्त पर बिलज़ दाख़िल करते हुए महिकमा फाइनैंस से रक़ूमात हासिल करने में नाकाम होगए और महिकमा फाइनैंस ने 26 मार्च को टरीझ़री को मुंजमिद कर दिया। इस के बरख़िलाफ़ एससी, एसटी और बी सी तलबा के स्कालरशिप और फ़ीस बाज़ अदायगी की रक़ूमात 90 फ़ीसद से ज़ाइद ख़र्च की गईं।

आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ अक़लीयती तलबा की इन दो सकीमात के लिए मुख़तस बजट से 147.22 करोड़
रुपये ख़र्च किए बगै़र ही सरकारी ख़ज़ाने में वापिस होगए जो कि मजमूई बजट का तक़रीबन 30 फ़ीसद हिस्सा होता है। आख़िर इस ख़तीर रक़म की वापसी के लिए ज़िम्मेदार कौन हैं।

हुकूमत अक़लीयती तलबा की स्कालरशिप और फ़ीस बाज़ अदायगी के लिए भारी रक़ूमात मुख़तस करने के दावे तो करती है लेकिन ओहदेदारों की लापरवाही के सबब मालीयाती साल के इख़तेताम से पहले तक सरकारी ख़ज़ाने से ये
रक़ूमात हासिल नहीं की जातीं और ये सरकारी ख़ज़ाने में वापिस होजाती हैं।

2013-14में हुकूमत ने अक़लीयती बहबूद के लिए 1027 करोड़ रुपये का बजट मुख़तस किया है। अब कैसे यक़ीन किया जाएगा कि ये मुकम्मल बजट ओहदेदार ख़र्च करेंगे।

महिकमा टरीझ़री के आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ फ़ीस बाज़ अदायगी स्कीम के तहत 2012-13 में 296.25करोड़ रुपये मुख़तस किए गए थे जिस में 214.69करोड़ रुपये के बिलज़ दाख़िल किए गए और 187.72करोड़ रुपये की रक़म ख़र्च की गई। इस तरह फ़ीस बाज़ अदायगी में 108.53 करोड़ रुपये ख़र्च किए बगै़र ही सरकारी ख़ज़ाने में वापिस होगए।