अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन की जानिब से अक़लीयती तलबा को बैरून मुल्क आला तालीम के हुसूल के लिए क़र्ज़ की फ़राहमी की तजवीज़ ज़ेर ग़ौर है। इस सिलसिले में समाजी भलाई के ओहदेदारों के साथ मुशावरत के बाद क़र्ज़ की इजराई के सिलसिले में रहनुमायाना ख़ुतूत को क़तईयत दी जाएगी।
मैनेजिंग डायरेक्टर अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन मुहम्मद हाशिम शरीफ़ ने बैंगलोर में नेशनल माइनॉरिटीज डेवलप्मेन्ट एंड फ़ाइनेन्स कारपोरेशन के इजलास में शिरकत से वापसी के बाद इस स्कीम की तजवीज़ से वाक़िफ़ कराया।
उन्हों ने बताया कि इजलास में मुख़्तलिफ़ रियासतों में मौजूद अक़लीयती इदारों पर ज़ोर दिया गया कि वो अक़लीयतों को रास्त क़र्ज़ की फ़राहमी की स्कीम का आग़ाज़ करें और इस सिलसिले में क़ौमी अक़लीयती तरक़्क़ियाती और फ़ाइनेन्स कारपोरेशन से रक़म हासिल की जाए।
चूँकि क़र्ज़ की इजराई के बाद उस की रीकवरी कारपोरेशन के लिए दुशवारकुन मरहला है लिहाज़ा आंध्र प्रदेश अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन ने इस स्कीम का आग़ाज़ नहीं किया। कारपोरेशन की जानिब से बैंकों से मरबूत क़र्ज़ की फ़राहमी की स्कीम पर अक़लीयती उम्मीदवारों को 30 हज़ार रुपये की सब्सीडी फ़राहम की जाती है।
कारपोरेशन के ओहदेदारों का एहसास है कि अगर कारपोरेशन रास्त तौर पर क़र्ज़ जारी करदे तो रक़म की रीकवरी इस के लिए दुशवारकुन साबित होगी। उन्हों ने बताया कि बैंगलोर में मुनाक़िदा हालिया इजलास में मर्कज़ी वज़ीर अक़लीयती उमूर रहमान ख़ान ने अक़लीयती स्कीमात पर मोअस्सर अमल आवरी के सिलसिले में मुल्क भर के ओहदेदारों को हिदायात जारी कीं।
इजलास में शरीक गैर सरकारी तनज़ीमों को मश्वरा दिया गया है कि वो अक़लीयतों में स्कीमात के बारे में शऊर बेदार करें।