अक़लीयती मालीयाती कारपोरेशन पर सदर नशीन और बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स का राज

यूं तो अलाहिदा तेलंगाना रियासत को वजूद में आए 7 माह का अर्सा गुज़र चुका है लेकिन अभी भी बाअज़ इदारों पर आन्ध्राई ताक़तों का तसल्लुत बरक़रार है। तेलंगाना हुकूमत की जानिब से मुख़्तलिफ़ मुशतर्का वसाइल पर आंध्र प्रदेश हुकूमत की दावेदारी और तेलंगाना के साथ नाइंसाफ़ी के रवैया के ख़िलाफ़ मर्कज़ से रुजू हो चुकी है और बाअज़ उमूर में अदालत से रुजू होने का फैसला किया गया।

दरअसल आन्ध्राई ताक़तों को तेलंगाना पर तसल्लुत क़ायम करने की आदत सी हो गई है और तेलंगाना के भोले भाले अवाम उन के चक्कर में आ जाते हैं। रियासत की तक़सीम के बावजूद कई अहम इदारों पर तेलंगाना हुकूमत अपनी दावेदारी और हिस्सादारी के लिए जद्दो जहद कर रही है।

इसी तरह के इदारों में एक अक़लीयती इदारा भी शामिल है जिस पर गुज़िश्ता 11 माह से आन्ध्राई ताक़तों का कंट्रोल है। रियासत की तक़सीम के बावजूद अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन पर साबिक़ कांग्रेस हुकूमत की जानिब से नामज़द कर्दा बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स राज कर रहे हैं।

साबिक़ चीफ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी ने रियासत की तक़सीम और चीफ मिनिस्टर के ओहदा से इस्तीफ़ा से ऐन क़ब्ल बाअज़ इदारों पर तक़र्रुरात किए थे, उन में अक़लीयती फ़ाइनेन्स कारपोरेशन शामिल हैं। 17 फरवरी को सदर नशीन और 15 डायरेक्टर्स के साथ बोर्ड तशकील दिया गया जिस की मुद्दत 3 साल मुक़र्रर की गई।

हुकूमत की बरक़रारी से मुताल्लिक़ गैर यक़ीनी कैफ़ियत और चीफ मिनिस्टर का इस्तीफ़ा पेश करने के दिन ही बोर्ड ऑफ़ गवर्नर्स ने किसी तरह जायज़ा हासिल कर लिया।

आंध्र प्रदेश की हुकूमत अक़लीयती इदारों को तक़र्रुरात के हक़ में है, ताहम इदारों की तक़सीम का अमल मुकम्मल ना होने के बाइस वो मजबूर दिखाई दे रही है। बताया जाता है कि कारपोरेशन की तक़सीम के बाद अगर बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स अख़लाक़ी तौर पर मुस्ताफ़ी ना हों तो हुकूमत उन्हें बर्ख़ास्त करने का अख़्तियार रखती है। अगर तेलंगाना हुकूमत अक़लीयती इदारों की तक़सीम में इसी तरह ताख़ीर करेगी तो तेलंगाना का बजट आन्ध्राई ताक़तों के क़ब्ज़ा में रहेगा।