सरकारी स्कूलों में पढ़नेवाली कम उम्र की लड़कियों को सैनिटरी नैपकिन दिये जाने की मंसूबा अब अक्तूबर से शुरू हो पायेगी। सरकार की सतह पर इस मंसूबा में तेजी लाने के लिए बैठकों का दौर जारी है।
अगले हफ्ताह मंसूबा को लागू करने के तौर-तरीकों पर आखरी फैसला लिया जायेगा। इस सिलसिले में तालीम और सेहत महकमा की मुश्तरका बैठक हो रही है।
वजीरे आल “किशोरी स्वास्थ्य योजना” के तहत सात से 12वीं क्लास तक की तालिबात को महीने में चार नैपकिन फ्री देनी हैं। इस साल एक अप्रैल से मार्च, 2015 तक 33,14,695 तुलबा को इसका फाइदा दिलाना था। लेकिन, अफसरों की सुस्ती की वजह यह मंसूबा चार महीने देर हो चुकी है।
14 फरवरी को मौजूदा हुकूमत ने इसकी ऐलान थी की और 20 फरवरी को एसेम्बली में पेश बजट में इसे शामिल किया गया। एक अप्रैल से इसे लागू करना था। उस वक़्त से महकमा के सामने डेढ़ महीने का वक्त था। इस मुद्दत में मंसूबा को आगे बढ़ाने की सिम्त में कोई कदम नहीं उठाया गया। इसी दरमियान आम इंतिख़ाब के ऐलान हो गयी। ज़ाब्ता एखलाक लागू हो जाने का असर इस मंसूबा पर भी पड़ा। इंतिख़ाब के बाद रियासत में हुकूमत बदल गयी।
नयी हुकूमत पटरी पर आयी, तो तीन जून को कैबिनेट की बैठक में इस मंसूबा को लाया गया। कैबिनेट ने इसे मंजूरी दी और चालू साल के लिए 36.03 करोड़ रुपये खर्च करने की मंजूरी दी। कैबिनेट की मंजूरी के बाद दो महीने बीत गये। जुलाई के आखिरी दिनों में तालीम महकमा ने मंसूबा के लिए एजेंसी तय करने और क्वालिटी वगैरह मामलों पर राय के लिए फ़ाइल को सेहत महकमा को भेजा। सेहत महकमा इस पर सुझाव के लिए राजी हो गया है।