अक्वाम ए मुत्तहिदा का मलाला को सलाम, 10 नवंबर को ‘मलाला डे’

अक्वाम ए मुत्तहिदा, १० नवंबर: अक्वाम ए मुत्तहिदा ने पाकिस्तान की युसुफजई मलाला के एजाज में 10 नवंबर को मुल्क भर में ‘मलाला डे’ के तौर पर‌ मनाए जाने का ऐलान किया है। जनरल बान की मून ने मलाला की बहादुरी की ताइद की है। उन्होंने मलाला की तारीफ करते हुए उसे ख्वातीन की तालीम की ‘आलमी अलामत’ करार दिया है। मून के खास नुमाइन्दे व साबिक ब्रिटिश वज़ीर ए आज़म गार्डन ब्राउन ने 10 नवंबर को ‘मलाला डे’ ऐलान किया है।

गौरतलब है कि स्वात वादी में रहने वाली 16 साला मलाला दुनिया के सामने पहली बार तब जाहिर हुई जब उसने बीबीसी उर्दू के लिए स्वात वादी की हकीकत बयान की। उसने तालिबानी दहशतगर्दो की वह सच्चाई बयान की जो अब तक लोगों से छिपी हुई थी।

दरअसल तालिबान ने स्वात वादी में ख्वातीनो की तालीम को गलत बताते हुए ऐसा करने वालों को सजा देने का ऐलान किया था। लेकिन मलाला ने न सिर्फ इसका पुरजोर मुखालिफत की, बल्कि ख्वातीनो और लड़कियों की तालीम के लिए मुहिम भी चलाई। यही वजह थी कि तालिबान मलाला के खिलाफ हो गया। पिछले माह तालिबान ने स्कूल से घर जाती मलाला पर जानलेवा हमला किया। तालिबान ने इस हमले को जायज बताते हुए कहा था कि वह स्वात में मगरिबी तहज़ीब को बढ़ावा दे रही है और तालिबान के खिलाफ काम कर रही है। इस हमले में मलाला के साथ उसकी एक सहेली भी जख्मी हो गई थी।

शतदीद तौर पर जख्मी मलाला का शुरुआती इलाज पाकिस्तान में ही हुआ था। लेकिन इसके बाद उसको बर्तानिया के क्वीन एलिजाबेथ हॉस्पिटल भेज दिया गया, जहां अब उसकी हालत में सुधार बताया जा रहा है। पाकिस्तान से बर्तानिया ले जाने के दौरान उसके परिवार वाले उसके साथ नहीं थे।

मलाला पर हुए हमले की पूरी चुनिया में मुजम्म्त हुई और मलाला के बेहतर सेहत के लिए पूरी दुनिया में दुवाएं भी की गई। अब जबकि मलाला की हालत में लगातार सुधार हो रहा है तो उसको नोबेल इनाम दिए जाने को लेकर एक मुहिम भी शुरू हो गई है।

ब्रिटिश कंपेनर शाहिदा चौधरी ने इस बाबत ब्रिटेन के वज़ीर ए अज़म डेविड कैमरुन को एक खत लिखा है जिसमें मलाला को नोबेल इनाम देने के लिए नामज़द करने और इसके लिए स्वीडन हुकूमत को एक खत लिखने की गुज़ारिश की गई है। शाहिदा का कहना है कि मलाला को नोबेल इनाम देने से उन लोगों की मुहिम को ताकत मिलेगी जो इस तरह की मुहिम छेड़े हुए हैं।

उनके मुताबिक मलाला केवल एक वह बच्ची नहीं है जिसने वहां की तालिबानी सत्ता को चैलेंज दी है, बल्कि मलाला वह हिम्मत वाली लड़की है जिसने उनके ऐलान के खिलाफ काम किया और इसकी मुहिम भी चलाई। वह पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। अक्वाम ए मुत्तहिदा के तरफ से शुरू की गयी ग्लोबल डे ऑफ एक्शन मलाला को वक़्फ है।

इसका मकसद ऐसे तीन करोड़ बीस लाख बच्चों को स्कूल भेजना है जो कभी स्कूल नहीं गए।