अहमदाबाद : अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने शनिवार को गुजरात के अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमले के मुख्य आरोपियों में शामिल अजमेरी अब्दुल रशीद को गिरफ्तार कर लिया है। वह पिछले 15 साल से फरार चल रहा था। उसका भाई अजमेरी आदम भी इस हमले में शामिल था लेकिन उसे सुप्रीम कोर्ट ने रिहा कर दिया है। पुलिस के मुताबिक अक्षरधाम मंदिर पर हमले की साजिश में शामिल रशीद सऊदी अरब के रियाद में रह रहा था और शनिवार की सुबह वह अहमदाबाद पहुंचा, जहां उसे क्राइम ब्रांच द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया।
मालूम हो कि 24 सितंबर, 2002 को गुजरात के गांधीनगर में अक्षरधाम मंदिर परिसर में अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमले में अदम अजमेरी, शाह मिया उर्फ चांद खान और मुफ्ती अब्दुल कयूम को पोटा के तहत गठित विशेष अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी, जबकि शहर के दरियापुर इलाके के युवक मोहम्मद सलीम शेख को उम्रकैद और अब्दुल मियां कादरी को 10 साल और अल्ताफ हुसैन को 5 साल की कैद की सजा सुनाई गई थी। इस हमले में एनएसजी के कमांडो के साथ मुठभेड में 2 आतंकवादी मारे गए थे, जिनकी पहचान मुर्तजा हाफिज यासीन और अशरफ अली मोहम्मद फारूक के रूप में हुई थी, जिनके पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैबा से संबंध थे। इस हमले में हमलावरों ने ऑटोमैटिक हथियारों और हथगोलों का इस्तेमाल करके 32 लोगों की हत्या कर दी थी। इनमें 28 मंदिर में आए दर्शनार्थी, एनएसजी के एक सुरक्षाकर्मी समेत तीन कमांडो और एक राज्य आरक्षी पुलिस का सिपाही था।
पोटा अदालत ने सभी आरोपियों को दोषी ठहराते हुए तीन को मौत की सजा और एक को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। गुजरात हाईकोर्ट ने निचली अदालत के इस फैसले पर मुहर लगाई थी लेकिन मई, 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी दोषियों को आरोपमुक्त करते हुए बरी कर दिया। इस मामले की जांच करने वाली एजेंसी को लापरवाही बरतने के लिए कड़ी फटकार लगाते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि आरोपियों को दोषी साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं हैं। अभियोजकों ने दावा किया था कि आरोपियों में से कुछ के जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए ताइबा जैसे आतंकी संगठनों से संबंध थे, लेकिन इसे वे अदालत में प्रमाणित नहीं कर पाए।