अक्स हैदराबाद’ दूसरी जिल्द की इशाअत

कोई शहर सियासी नक़्शों पर अपनी शनाख़्त नहीं रखता बल्कि उस की तज़ईन, आराइश, ज़ौक़े तामीर, आरास्तगी और पैरास्तगी की वजह से इन्फ़िरादियत का हामिल होता है।

इन ख़ुसूसीयात की वजह से शहर हैदराबाद आलम में बेमिसाल शहर तसव्वुर किया जाता है। क़ुतुब शाही दौर से 1955 तक बैरूनी सैयाहों ने उसे अलिफ़ लीलवी शहर से ताबीर किया है।

इस शहर के महलात, पुरशिकोह इमारतें, कुशादा सड़कें, पुररौनक़ बाज़ार, अवामी सहूलतें मसलन रेलवे, बस, हवाई जहाज़, ज़ख़ाइर आब, दवाखाने, मदारिस, कॉलेज, यूनीवर्सिटी, डाक तार, रेडीयो कौनसी असरी सहूलत थी जो हैदराबाद में नहीं थी।

अल्लामा एजाज़ फ़र्रुख़ और जनाब ज़ाहिद अली ख़ान ने इस जन्नत गुम गश्ता के आसार को महफ़ूज़ करके उसे हैदराबाद दोस्तों तक पहुंचाने का बीड़ा उठाया है। गुज़िश्ता की तरह ये एलबम भी महिदूद इशाअत बतौर शाय हो रहा है जो सिर्फ़ अहले ज़ोक़ अहबाब के लिए मुख़तस है।

तवक़्क़ो है कि ये एलबम माह मार्च में मंज़रे आम पर आ जाएगा। क़ारईन 500 रुपये इदारा सियासत पर जमा करके अपनी कापी महफ़ूज़ करवा लें।