जम्हूरीयत (प्रजातंत्र) के लाज़िमी अजज़ा में आज़ादी इज़हार शामिल होने का इद्दिआ ( इच्छा) करते हुए सी पी आई एम के नामवर क़ाइद वी एस अछूता नंदन (V.S.Achuthanandan) ने बाअज़ ( कुछ) सयासी गोशों की जानिब से कार्टूनों के साथ तास्सुब (अनुचित पक्षपात) के इज़हार पर संगीन तशवीश ज़ाहिर की ।
शंकर और आर के लक्षमण के कार्टून्स को निसाबी तालीम की किताबों में शामिल करने का तनाज़ा ( झगड़े) का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि कार्टून्स और कार्टूनिस्टों पर तन्क़ीद सेहत मंद जम्हूरीयत के लिए ग़ैर सेहत मंद है । वो कार्टून्स के लिए लक्षमण रेखा के मौज़ू ( विषय) पर मुनाक़िदा तबादला-ए-ख़्याल के इजलास (सभा) में शिरकत कर रहे थे जिस का एहतिमाम केरला कार्टून एकडेमी और प्रेस कलब ने कल शाम किया था ।
उन्होंने कहा कि वो कई कार्टून्स का मौज़ू ( विषय) रह चुके हैं और हमेशा उन से लुत्फ़ अंदोज़ हुए क्योंकि वो उनके पैग़ाम को समझते थे । जमहूरीयत (प्रजातंत्र) में रवादारी और तन्क़ीद (परख) का सामना अहम होता है ।