नई दिल्ली, ०२ फ़बरोरी ( पी टी आई) वज़ीर-ए-क़ानून सलमान ख़ुरशीद ने सयासी-ओ-क़ानूनी मसाइल को ख़लत-मलत किए जाने की मुख़ालिफ़त करते हुए आज कहा कि सयासी तौर पर हमें अदालती फ़ैसलों को सड़कों पर नहीं ले जाना चाहिये । अदालती फ़ैसलों और इस की दीगर कार्यवाईयों पर हमें अपने फ़ैसले सादर करने से गुरेज़ करना चाहिये ।
उन्हों ने ये सख़्त रिमार्क उस वक़्त किया जब गुजरात हाईकोर्ट ने 2002 के फ़सादाद से मुताल्लिक़ मुक़द्दमा मैं रियास्ती चीफ़ मिनिस्टर नरेंद्र मोदी को नानावती कमीशन के इजलास पर तलब करने के लिए समन की इजराई से मुताल्लिक़ दरख़ास्त को मुस्तर्द कर दिया ।
मिस्टर सलमान ख़ुरशीद ने इस फ़ैसला पर तबसरा की ख़ाहिश पर जवाब दिया कि अदालती अमल और फ़ैसलों को सयासी मसाइल से ख़लत-मलत नहीं किया जाना चाहिये और सयासी हलक़ों में जो कुछ होता है इस को अदालती अमल से दूर रखा जाना चाहिये ।
मिस्टर सलमान ख़ुरशीद ने कहा या तो ऐसे मसाइल को सयासी सतह पर हल कर लिया जाना चाहिये या फिर अदालतों पर छोड़ दिया जाय । उन्हों ने मज़ीद कहा कि आप इन दोनों को एक दूसरे से ख़लत-मलत नहीं कर सकते । जहां तक अदलिया और क़ानूनी निज़ाम का ताल्लुक़ है हमें अदालतों के फ़ैसले को हर्फ़ आख़िर के तौर पर क़बूल करना होगा ।
ताहम मिस्टर सलमान ख़ुरशीद ने कहा कि हर मुक़द्दमा में किसी हुक्म के ख़िलाफ़ अपील की जा सकते हैं । इस ज़िमन में इंतिज़ार करना और देखना होगा कि क्या होता है । वज़ीर-ए-क़ानून ने कहा कि उन्हों ने अदालती फ़ैसला का तफ़सीली जायज़ा नहीं लिया है और ठोस तबसरा से क़बल इसका जायज़ा लेना होगा।