(खुसूसी नुमाइंदे)नई दिल्ली अक्वाम मुत्तहदा में सलाहकार के तौर पर मंज़ूरी मिली देवयानी खोब्रागड़े को मुकम्मल सिफारती जैसा दर्जा मिला था, लेकिन देवयानी खुद ही इसे भूल गई थीं। देवयानी को यह मंज़ूरी 26 अगस्त को मिली थी, जो पिछले साल के आखिरी तक दुरूस्त थी। लेकिन गुजश्ता 12 दिसंबर को गिरफ्तारी के वक्त देवयानी अगर यह बता देतीं कि वह अकवाम मुत्तहदा में हिंदुस्तान की मुस्तकिल मिशन में सलाहकार के तौर पर तस्लीम शुदा सिफारती हैं, तब शायद वह गिरफ्तार होने से बच सकती थीं।
यहां सिफारती हलकों में पूछा जा रहा है कि हुकुमत ए हिंद क्यों नहीं इस बुनियाद पर देवयानी के खिलाफ मामला वापस लेने की मांग करती है कि गिरफ्तारी के वक्त उसे सिफारती छूट हासिल थी। देवयानी को जब वज़ारत ए खारेजा ने 26 दिसंबर को सलाह दी कि वह अकवाम मुत्तहदा में भी सिफरती तौर पर अपनी दरखास्त दे , तब उन्हें मालूम चला कि अकवाम मुत्तहदा के रिकॉर्ड में पहले से ही उनका नाम सलाहकार के तौर पर दर्ज है।
उन्हें दिसंबर के आखिरी तक इस हैसियत से मंजूरी मिली थी। हकीकत में वज़ारत ए खारेजा को भी देवयानी को अकवाम मुत्तहदा की ओर से मिली सिफर्ती छूट के बारे में ध्यान नहीं था।
ज़राये के मुताबिक देवयानी ने एक और बड़ी भूल अपनी मेड संगीता रिचर्ड की दरखास्त में यह की कि संगीता की तंख्वाह के कॉलम में अपना 45 सौ डालर का तंख्वाह दर्ज कर दिया। इन्हीं भूलों की वजह से देवयानी के खिलाफ न्यू यॉर्क की पुलिस कार्रवाई कर सकी और देवयानी का पासपोर्ट जब्त कर लिया।
इस बीच, दिल्ली में अमेरिकी सिफारतखाने पर सेक्युरिटी खदशात को दूर करते हुए वज़ारत ए खारेजा के एक ज़राये ने कहा है कि कौंसिल के आसपास और इसके स्कूल के नज़दीक 24 घंटे तकरीबन 150 पुलिस अहल्कार तैनात किए गए हैं।
दूसरी तरफ, ओबामा इंतेजामिया के एक साबिक आला अधिकारी ने कहा है कि खोब्रागड़े की गिरफ्तारी को अमेरिका का बार-बार इकलौती वाकिया बताना और हिंदुस्तान के साथ दोतरफा ताल्लुकात पर इसका असर नहीं पड़ने की बात कहना सोच-समझकर दिया गया बयान है। महकमा खारेजा के साबिक तर्जुमान पी.जे. क्राउले ने कहा, ‘दोनों फरीकैन की ओर से इस मामले में गलत फैसले लिए गए।’ इस बीच, हिंदुस्तान और अमेरिकी ओहदेदारों ने ज़ुमेरात हुई मीटिंग में माना कि मामले को बिगाड़ने के लिए दोनों मुल्कों के जूनियर आफीसर जिम्मेदार हैं।
———————बशुक्रिया: नवभारत टाइम्स