मशहूर डॉक्टर व साबिक़ एमपी डॉक्टर एजाज आली ने कहा की मौजूदा वक़्त में अपना हुकुक पाने के लिए ज़रूरी है की मुस्लिम फिरका एक प्लेटफॉर्म पर आयें वो आज यहाँ बिहारशरीफ दौरे पर आए थे उन्होने कहा की 1950 में एवान अमल में आया और मुल्क में कानून का राज़ काम हुआ दो तालों के साथ एक ताला बाबरी मस्जिद में लगा और दूसरा ताला एवान की 341 पर। उन्होने कहा की मुल्क का मुस्लिम आवाम बाबरी मस्जिद को तो नहीं बचा सका मगर 341 को बचाने के लिए आगे आने की ज़रूरत है। उन्होने कहा की जहां एक जानिब बाबरी मस्जिद में ताला लगाने के बाद मुस्लिम क़ौम को यहाँ नमाज़ पढ़ने से महरूम कर दिया गया तो वहीं दफा 341 पर ताला लगने के बाद मुस्लिम क़ौम पर कई पाबंदियाँ आईद हो गयी।
मुस्लिम रिज़र्वेशन से खारिज कर दिया गया जबकि ये क़ौम 1936 से 1950 तक इस का हकदार था सरकार की जानिब से मिलने वाली तालीम, रोटी, कपड़ा और मकान जैसे सहूलियात से इसे महरूम कर दिया गया। 1952 में मुस्लिम में मुस्लिम क़ौम पर ये ताला लगा रहा जब की बौद्ध मजहब के लोगों के लिए ये ताला खोल दिया गया। मगर मुस्लिम क़ौम के लिए ताला लगा रहा उन्होने कहा की इसी तरह बाबरी मस्जिद में 1950 में लगा ताला खोला मगर इसके बाद इसे शहीद कर दिया गया और हम इसे नहीं बचा सके। मगर अब 341 को बचाने की बारी है इसे इस ताले ने मुस्लिम क़ौम को पूरी तरह बदहाल कर दिया है। आज इस के हालात दलित से भी बदतर है मगर सरकार से तरक़्क़ी की राह से जोड़ने का काम नहीं कर रही है उन्होने कहा की ज़रूरत है की मुस्लिम क़ौम यकजा होकर इस ताले को खुलवाए ताकि हमें हमारा हक़ हाकूक मिल सके इस दौरान दीगर लोग मौजूद थे ।