आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस पी सी घोष और जस्टिस वेलास वि व अफ़ज़ल पुर ने पिछ्ले 23 साल से उम्र कैद की सज़ा काट रहे साबिक़ कांस्टेबल मुहम्मद अबदुल क़दीर की रिहाई से मुताल्लिक़ अपना मौक़िफ़ वाज़िह करने के लिए रियासती हुकूमत को मज़ीद दो हफ़्ते की मोहलत दी ।
सितंबर में एडवोकेट पुष्पिंदर कौर ने क़दीर की अहलिया साबरा बेगम की तरफ से हाईकोर्ट में रिट दरख़ास्त दाख़िल करते हुए ये बताया था कि क़दीर को सज़ा मुकम्मल होने के बावजूद भी जेल में महरूस रखा गया है जो गैरकानूनी है ।
इस सिलसिले में अदालत ने 28 सितंबर 2012 को रियासती हुकूमत को अहकाम जारी करते हुए अंदरून 6 हफ़्ते मुहम्मद अबदुल क़दीर की अहलिया की दरख़ास्त को ग़ौर करने और अपना मौक़िफ़ वाज़िह करने की हिदायत दी थी लेकिन हुकूमत मुतयन वक़्त में जवाब ना दाख़िल करने पर एडवोकेट ने 3 अक्टूबर को हुकूमत को नोटिस रवाना की थी जिस में बताया थाके हाई कोर्ट के हिदायत के बावजूद भी साबरा बेगम की दरख़ास्त पर कोई कार्रवाई नहीं की गई ।
बादअज़ां एडवोकेट ने हाई कोर्ट के अहकामात की ख़िलाफ़वरज़ी करने पर तहक़ीर अदालत के तहत एक दरख़ास्त दाख़िल की जो ज़ेर अलतवा है । कल चीफ जस्टिस ने साबेरा बेगम की दरख़ास्त की समाअत करते हुए हुकूमत को मज़ीद दो हफ़्ते की मोहलत दी ।